6 जून से शुरू हुई भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति की बैठक के नतीजे घोषित कर दिए गए हैं. सेंट्रल बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने तीन दिनों तक चली इस बैठक में लिए गए अहम फैसलों की जानकारी दी. इस बार भी नीतिगत दरों को स्थिर रखा गया है. जबकि एसडीएफ दर 6.25% और सीमांत स्थायी सुविधा और बैंक दरें 6.75% पर बनी हुई हैं, आपको बता दें कि अप्रैल महीने में हुई एमपीसी की बैठक में भी रिजर्व बैंक ने रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया था. आरबीआई गवर्नर ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत स्थिति में है. विदेशी मुद्रा भंडार की स्थिति भी अच्छी है.
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इस वित्तीय वर्ष की दूसरी बैठक
वित्त वर्ष 24 में भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति की यह दूसरी बैठक है. इसकी शुरुआत 6 जून को मुंबई में हुई थी. इस बार भी रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं करने का फैसला किया गया है, इसलिए फिलहाल रेपो रेट 6.5 फीसदी ही रहेगा. आपको बता दें कि केंद्रीय बैंक ने महंगाई पर काबू पाने के लिए एक के बाद एक रेपो रेट में बढ़ोतरी की, जो मई 2022 के बाद अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है.
आरबीआई गवर्नर ने क्या कहा?
इसकी घोषणा करते हुए, आरबीआई गवर्नर ने कहा कि क्रेडिट ग्रोथ में तेज वृद्धि के बाद रेपो रेट को अपरिवर्तित रखने का निर्णय लिया गया है. महंगाई दर में गिरावट भी एक अहम पहलू रहा है. हालांकि, वित्त वर्ष 2023-24 में महंगाई दर 5 फीसदी से ऊपर रहने की उम्मीद थी. आरबीआई गवर्नर ने कहा, महंगाई दर लक्ष्य से ऊपर रह सकती है. इसके साथ ही किसी भी दर में बदलाव नहीं करने का निर्णय लिया गया है.
क्या होता है रेपो रेट?
दरअसल रेपो रेट वह दर होती है जिस पर आरबीआई देश के बैंकों को कर्ज देता है. फिर इस दर के आधार पर बैंक अपने ग्राहकों को होम लोन, व्हीकल लोन, पर्सनल लोन आदि तरह-तरह के लोन ऑफर करता है. इस वजह से रेपो रेट में बदलाव का सीधा असर आपके लोन और ईएमआई पर पड़ता है. लेकिन आरबीआई ने देशवासियों को राहतभरी खबर दी है. आरबीआई ने ने इस बार भी रेपो रेट में कोई बदलाव न करने का फैसला लिया है.
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