दिल्ली: ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के प्रमुख और हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने पीएम मोदी के बयान पर जमकर पलटवार किया है. समान नागरिक संहिता और तीन तलाक पर पीएम नरेंद्र मोदी के बयान पर भड़के ओवैसी ने कहा कि वह देश की विविधता को एक समस्या समझते हैं, इसलिए उनको अपनी सोच का सॉफ्टवेयर बदलना चाहिए.
Advertisement
Advertisement
PM मोदी की UCC पर की गई टिप्पणी पर AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने पलटवार करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री को यह समझने की ज़रूरत है कि अनुच्छेद 29 एक मौलिक अधिकार है, मुझे लगता है प्रधानमंत्री को यह समझ नहीं आया, संविधान में धर्मनिरपेक्षता की बात है. इस्लाम में शादी एक कॉन्ट्रैक्ट है, हिंदूओं में जन्म-जन्म का साथ है. क्या आप सबको मिला देंगे? भारत की विविधता को वे एक समस्या समझते हैं. प्रधानमंत्री को पाकिस्तान से इतनी मोहब्बत क्यों है? उन्हें अपनी सोच का सॉफ्टवेयर बदलना चाहिए. भारत के मुसलमान को पाकिस्तान, मिस्र से क्या करना है? आप क्या उन्हें बड़ा और हमें कम समझ रहे हैं क्या? यह तो देश विरोधी बात है.
इसके अलावा उन्होंने कहा कि पीएम मोदी ने तीन तलाक, UCC और पसमंदा मुसलमानों पर कुछ टिप्पणी की है. लगता है मोदी जी ओबामा की नसीहत को ठीक से समझ नहीं पाए, मोदी जी ये बताइए कि क्या आप “हिन्दू अविभाजित परिवार” (HUF) को ख़त्म करेंगे? इसकी वजह से देश को हर साल ₹3064 करोड़ का नुक़सान हो रहा है.
एक तरफ आप पसमांदा मुसलमानों के लिए घड़ियाली आंसू बहा रहे हैं, और दूसरी तरफ़ आपके प्यादे उनकी मस्जिदों पर हमला कर रहे हैं, उनका रोज़गार छीन रहे हैं, उनके घरों पर बुलडोज़र चला रहे हैं, उनकी लिंचिंग के ज़रिए हत्या कर रहे हैं, और उनके आरक्षण की मुख़ालिफ़त भी कर रहे हैं. आपकी सरकार ने ग़रीब मुसलमानों की स्कॉलरशिप ख़त्म कर दी. अगर पसमांदा मुसलमान का शोषण हो रहा है तो आप क्या कर आहे हैं? पसमांदा मुसलमान का वोट मांगने से पहले आपके कार्यकर्ता को घर-घर जाकर माफ़ी मांगनी चाहिए कि आपके प्रवक्ता और विधायक ने हमारे नबी-ए-करीम की शान में गुस्ताख़ी की.
ओवैसी ने पीएम मोदी पर हमला करते हुए आगे कहा कि पाकिस्तान का हवाला देते हुए मोदी जी ने कहा है के वहां तीन तलाक़ पर रोक है. मोदी जी को पाकिस्तान के क़ानून से इतनी प्रेरणा क्यों मिल रही है? आपने तो यहां तीन तलाक़ के ख़िलाफ़ क़ानून भी बना दिया, लेकिन उसका ज़मीनी स्तर पर कुछ फ़र्क़ नहीं पड़ा, बल्कि महिलाओं पर शोषण और बढ़ गया है. हम तो हमेशा से मांग कर रहे हैं की क़ानून से समाज-सुधार नहीं होगा. अगर क़ानून बनाना ही है तो उन मर्दों के ख़िलाफ़ बनाना चाहिए जो शादी के बाद भी अपनी पत्नी को छोड़ कर फ़रार हो जाते हैं.
Advertisement