दिल्ली: एक जुलाई को गुजरात हाईकोर्ट ने मुंबई की सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ की नियमित जमानत याचिका खारिज कर दी थी. इतना ही नहीं कोर्ट ने तीस्ता सीतलवाड़ को फौरन सरेंडर करने का आदेश दिया था. हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ तीस्ता ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, इस मामले को लेकर आज हुई सुनवाई में कोर्ट से तीस्ता को बड़ी राहत मिली है, कोर्ट ने अगले आदेश तक गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है. मामले की अगली सुनवाई अब 19 जुलाई को होगी.
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तीन जजों की बेंच ने मामले की सुनवाई की
तीस्ता सीतलवाड़ की जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच ने सुनवाई की. सीतलवाड़ की याचिका पर कोर्ट ने गुजरात सरकार को नोटिस भी जारी किया और संबंधित पक्षों से 15 जुलाई तक मामले में दस्तावेज दाखिल करने को कहा है. जस्टिस बीआर गवई, एएस बोपन्ना और दीपांकर दत्ता की विशेष पीठ ने मामले में गुजरात सरकार से जवाब मांगा और मामले के अंतिम निपटान के लिए सुनवाई की अगली तारीख 19 जुलाई तय की है.
एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ने सुप्रीम कोर्ट से समय मांगा
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के साथ गुजरात सरकार की ओर से पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एस.वी. राजू ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि कुछ दस्तावेजों का अनुवाद बाकी है इसलिए फिलहाल के लिए सुनवाई टाल दी जाए. इस पर कोर्ट ने कहा कि हमारे यहां बैठने का असर तीन बेंच पर पड़ता है. गौरतलब है कि गुजरात हाईकोर्ट ने तीस्ता की याचिका खारिज कर दी थी, इसकी कापी गुजराती भाषा में है इसके अनुवाद के लिए टाइम मांगा गया है.
तीस्ता सीतलवाड पर क्या है आरोप?
आपको बता दें कि सीतलवाड़, सेवानिवृत्त डीजीपी आरबी श्रीकुमार और पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट पर 2002 के गुजरात दंगों से जुड़े एक मामले में सबूत गढ़ने और साजिश रचने का आरोप है. गुजरात पुलिस ने तीनों को गिरफ्तार कर लिया है. हालांकि पिछले साल 15 जुलाई को तीस्ता सीतलवाड की जमानत याचिका के खिलाफ दायर एसआईटी के हलफनामे में बड़ा खुलासा हुआ था. तीस्ता और पूर्व आईपीएस अधिकारी श्रीकुमार को फर्जी दस्तावेज बनाकर कानून के साथ खिलवाड़ करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था.
हलफनामे में दावा किया गया है कि सीतलवाड़ कथित तौर पर गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री सहित गुजरात राज्य के कई अधिकारियों और अन्य निर्दोष व्यक्तियों को फंसाने और उन पर मुकदमा चलाने के लिए एक राजनीतिक दल से वित्तीय और कई अन्य लाभ प्राप्त किया था. इतना ही नहीं दावा किया गया है कि तीस्ता ने पीएम नरेंद्र मोदी को फांसी की सजा दिलाने की साजिश रची थी. जिसमें संजीव भट्ट और आरबी श्रीकुमार ने भी सपोर्ट किया था.
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