दिल्ली: बीजेपी के लिए देश में समान नागरिक संहिता लागू करना आसान नहीं होगा. विपक्ष तो ठीक अब उसकी सहयोगी पार्टियों ने भी इस मामले को लेकर विरोध शुरू कर दिया है. तमिलनाडु में बीजेपी की प्रमुख सहयोगी पार्टी एआईएडीएमके ने बीजेपी को बड़ा झटका देते हुए कहा कि हमने मोदी सरकार से समान नागरिक संहिता (यूसीसी) को लेकर संविधान में कोई संशोधन नहीं करने का आग्रह किया है. एआईएडीएमके का मानना है कि यह कानून भारत के अल्पसंख्यकों के धार्मिक अधिकारों पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगा.
Advertisement
Advertisement
बीजेपी के लिए बड़ी मुसीबत
नेशनल पीपुल्स पार्टी के बाद, एआईएडीएमके यूसीसी के खिलाफ विरोध करने वाली दूसरी प्रमुख पार्टी है. पंजाब में पहले सहयोगी रही शिरोमणि अकाली दल ने भी इस मामले में बीजेपी का विरोध किया था. अब देखना यह है कि बीजेपी अपने प्रमुख सहयोगियों को कैसे मना पाती है. इससे पहले, नागालैंड में भाजपा की एक अन्य सहयोगी नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी ने भी यूसीसी के कार्यान्वयन पर आपत्ति जताई थी.
यूसीसी कब आएगा?
यूसीसी लंबे समय से बीजेपी के एजेंडे में है. विधि आयोग ने 14 जून को यूसीसी पर अपनी कवायद फिर से शुरू की और 30 दिनों के भीतर प्रस्ताव पर जनता और मान्यता प्राप्त धार्मिक संगठनों से विचार मांगे हैं. संभावना जताई जा रही है कि इस बिल को मोदी सरकार मानसून सत्र में चर्चा के लिए संसद के पटल पर रख सकती है.
भोपाल में यूसीसी को लेकर पीएम मोदी ने दिया था बड़ा बयान
गौरतलब है कि अमेरिकी दौरे से लौटने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘मेरा बूथ सबसे मजबूत’ अभियान के तहत मंगलवार को मोतीलाल नेहरू स्टेडियम में बीजेपी कार्यकर्ताओं को संबोधित किया था. इस दौरान उन्होंने कहा कि वर्तमान में समान नागरिक संहिता के नाम पर लोगों को भड़काने का काम किया जा रहा है. ऐसे में दोहरी व्यवस्था से देश कैसे चलेगा? भारत के संविधान में भी नागरिकों के समान अधिकार की बात कही गई है. सुप्रीम कोर्ट ने बार-बार कहा है कि समान नागरिक संहिता (UCC) लाओ लेकिन ये वोट बैंक के भूखे लोग हैं.
Advertisement