प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुरुवार यानी आज दो देशों के दौरे पर रवाना हो गए हैं. यात्रा के पहले भाग में वह फ्रांस पहुंचेंगे और वहां राष्ट्रीय दिवस समारोह में भाग लेंगे. उसके बाद वह संयुक्त अरब अमीरात के लिए रवाना होंगे. उनके इस दौरे को लेकर फ्रांस में भारत के राजदूत जावेद अशरफ ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि किसी भी देश को किसी दूसरे देश के राष्ट्रीय दिवस पर मुख्य अतिथी के रूप में स्वागत करना एक बड़े ही सम्मान के संकेत होते हैं. यह दर्शाता है कि भारत-फ्रांस के संबंध कितने घनिष्ठ हैं. भारत की प्रगति, भारत का लोकतंत्र, भारत की स्थिरता के कारण भारत ने विश्व में अपनी जगह बनाई है.
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इसके अलावा उन्होंने कहा कि रक्षा के विषय में हमारे(फ्रांस-भारत) संबंध बेहत अतुलनीय हैं. हम दोनों देश अंतरिक्ष यात्रा में भी साथ में रहे हैं. हमारा संबंध तकनीक के रूप में भी बेहत घनिष्ठ हैं. 2014 से हमारे आर्थिक संबंध तेज़ी से आगे बढ़े हैं. फ्रांस की जितनी भी बड़ी कंपनियां है वे भारत में मौजूद हैं. भारत को एक एक्सपोर्ट हब के रूप में देखा जा रहा है. जब राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन चुनाव जीत कर एक युवा राष्ट्रपति के रूप में चुनकर आए, उनकी बातचीत प्रधानमंत्री से हुई थी. तभी से मेक्रॉन प्रधानमंत्री की काफी इज़्ज़त करते हैं. उनकी फोन पर बातचीत भी होती है. ग्लोबल फाइनेंसिंग समिट आयोजित हुई थी जिसमें राष्ट्रपति ने प्रधानमंत्री से सुझाव भी लिया. विश्व को एकजुट करने पर इनकी चर्चा होती है. एकसाथ मिलकर वैश्विक चुनौतियों पर बातचीत होती है.
पेरिस में सम्मानित अतिथि के रूप में 14 जुलाई के बैस्टिल दिवस समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शामिल होने को लेकर फ्रांस में भारत के राजदूत जावेद अशरफ ने कहा कि यहां पंजाब रेजिमेंट भारत को प्रस्तुत कर रही है, यह काफी भावुक क्षण है. पंजाब रेजिमेंट ने प्रथम विश्व युद्ध में भाग लिया था, 408 सैनिकों ने अपना बलिदान दिया था. एक प्रकार से कहा जाए तो उनका बलिदान हमारे संबंध का सशक्त स्तंभ बना है. उनके रक्त ने हमारी धरती को सींचा है. फ्रांस में 163 ऐसे कब्रिस्तान हैं जिसमें हमारे 9,000 भारतीय सैनिक, जिन्होंने बलिदान दिया था उनकी स्मृति है.
फ्रांस में भारत के राजदूत जावेद अशरफ ने मीडिया से बातचीत करते हुए आगे कहा कि रफाल ऊड़ रहे हैं तो यह बेहद महत्वपूर्ण नहीं है बल्कि यह महत्वपूर्ण है कि दोनों देशों में विश्वास बहुत है. इस परेड से पूरे विश्व को यह संदेश जाएगा कि हमारे दोनों देशों के बीच रक्षा के क्षेत्र में साझेदारी बेहद घनिष्ठ हैं लेकिन यह साझेदारी मूल्यों की है शक्ति की नहीं, हमारे सैनिक संबंध अपने मूल्यों की रक्षा करने के लिए हैं.
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