अहमदाबाद: गुजरात में 2002 के दंगों के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और गुजरात को बदनाम करने की कोशिश करने वाली तीस्ता सीतलवाड़, पूर्व डीजीपी आर.बी. श्री कुमार और पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट के खिलाफ एसआईटी की जांच चल रही है, मामले की सुनवाई सत्र न्यायालय में चल रही है. सेशन कोर्ट में तीस्ता सीतलवाड की ओर दाखिल की गई रिहाई याचिका पर सुनवाई हुई, जिसका सरकारी वकील ने विरोध किया.
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तीस्ता सीतलवाड पर सह आरोपियों के साथ मिलकर साजिश रचने का आरोप है. तीस्ता सीतलवाड़ पर 2002 में गुजरात में हुए सांप्रदायिक दंगों में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य नेताओं के खिलाफ झूठे सबूत और गवाह बनाने का आरोप है.
तीस्ता सीतलवाड और सरकारी वकील के बीच बहस पूरी होने के बाद कोर्ट रिहाई याचिका पर 20 जुलाई को फैसला सुनाएगी. पिछली सुनवाई में तीस्ता सीतलवाड़ के वकील एस वत्स ने दलील दिया कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश था कि एसआईटी 2006 से पहले तीस्ता सीतलवाड़ की भूमिका की जांच नहीं कर सकती है.
सुप्रीम कोर्ट से तीस्ता को मिली थी बड़ी राहत
एक जुलाई को गुजरात हाईकोर्ट ने मुंबई की सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ की नियमित जमानत याचिका खारिज कर दी थी. इतना ही नहीं कोर्ट ने तीस्ता सीतलवाड़ को फौरन सरेंडर करने का आदेश दिया था. हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ तीस्ता ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, कोर्ट से तीस्ता को बड़ी राहत मिली थी, कोर्ट ने अगले आदेश तक गिरफ्तारी पर रोक लगा दी थी. मामले की अगली सुनवाई अब 19 जुलाई को होगी.
एसआईटी ने अपने हलफनामे में दावा किया था कि तीस्ता सीतलवाड़ कथित तौर पर गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री सहित गुजरात राज्य के कई अधिकारियों और अन्य निर्दोष व्यक्तियों को फंसाने और उन पर मुकदमा चलाने के लिए एक राजनीतिक दल से वित्तीय और कई अन्य लाभ प्राप्त किया था. इतना ही नहीं दावा किया गया था कि तीस्ता ने पीएम नरेंद्र मोदी को फांसी की सजा दिलाने की साजिश रची थी. जिसमें संजीव भट्ट और आरबी श्रीकुमार ने भी सपोर्ट किया था.
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