लखनऊ: आज सुबह भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की एक टीम ज्ञानवापी परिसर के पुरातात्विक सर्वेक्षण के लिए परिसर में पहुंच गई है. काशी विश्वनाथ धाम के गेट नंबर चार से एएसआई की एक टीम आधुनिक मशीनों के साथ यहां पहुंची है. इससे पहले हिंदू पक्ष के वकील मदन मोहन यादव ने कहा कि एएसआई की टीम आज ज्ञानवापी परिसर में वजुखाना को छोड़कर पूरे परिसर का सर्वेक्षण शुरू करेगी.
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हिंदू पक्ष ने सर्वे में सहयोग की बात कही है, जबकि अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी ने जिला जज के आदेश के खिलाफ आज सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई का हवाला देते हुए सर्वे की तारीख बढ़ाने की मांग की है. उन्होंने यह भी कहा कि वह आज सर्वे में हिस्सा नहीं लेंगे और इसका बहिष्कार करेंगे. उधर, ज्ञानवापी परिसर के सर्वे को लेकर जिले में हाई अलर्ट घोषित कर दिया गया है. जिला जज अजय कृष्ण विश्वेश की कोर्ट ने 21 जुलाई को आदेश दिया था कि एएसआई वजुखाना को छोड़कर ज्ञानवापी परिसर के बाकी हिस्सों की वैज्ञानिक जांच करे और 4 अगस्त तक एक रिपोर्ट तैयार करे जिसमें बताया जाए कि क्या मंदिर को ध्वस्त कर उस पर मस्जिद बनाई गई है. कोर्ट ने विवादित हिस्से को छोड़कर पूरे परिसर के एएसआई सर्वेक्षण की इजाजत दे दी है.
इलाहाबाद हाई कोर्ट के निर्देश
इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के अंदर पाए गए कथित शिवलिंग के वैज्ञानिक सर्वेक्षण और कार्बन-डेटिंग की अनुमति देने वाले इलाहाबाद उच्च न्यायालय के निर्देशों पर रोक लगा दी थी. इस संबंध में एक पक्ष का कहना है कि यह शिवलिंग है तो दूसरे पक्ष का कहना है कि यह एक फव्वारा है. अब इस परिसर के सर्वे से पता चलेगा कि मस्जिद कितनी पुरानी है और हिंदू पक्ष के दावे में कितनी सच्चाई है. कोर्ट कमिश्नर अजय मिश्रा ने 6-7 मई को ज्ञानवापी परिसर का सर्वे किया था. इस सर्वे की रिपोर्ट के मुताबिक कहा जा रहा है कि परिसर की दीवारों पर देवी-देवताओं की कलाकृतियां, कुछ कमल की कलाकृतियां और शेषनाग जैसी आकृति मिली है.
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