अहमदाबाद: गुजरात में 2002 में हुए दंगों के बाद तत्कालीन सीएम नरेंद्र मोदी और राज्य को बदनाम करने के मामले में तीस्ता सीतलवाड़, पूर्व डीजीपी आरबी श्रीकुमार और पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट के खिलाफ एसआईटी की जांच चल रही है. इस बीच पूर्व आईपीएस संजीव भट्ट ने कोर्ट में डिस्चार्ज याचिका दायर की है. सेशन कोर्ट इससे पहले तीस्ता सीतलवाड और आरबी श्रीकुमार की डिस्चार्ज याचिका खारिज कर चुका है.
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आरोपियों के खिलाफ चार्ज फ्रेम की प्रक्रिया की गई
संजीव भट्ट पर सह आरोपियों के साथ मिलकर साजिश रचने का आरोप है. इसके साथ ही संजीव भट्ट के वकील मनीष ओझा ने यह तर्क देते हुए कुछ दस्तावेजों की भी मांग की कि यह मामला अदालत के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है. फिलहाल इस मामले में आरोपियों के खिलाफ आरोप तय करने की प्रक्रिया शुरू की गई है.
अगली सुनवाई 3 अगस्त को होगी
पिछली सुनवाई में वकील मनीष ओझा ने पालनपुर जेल में बंद संजीव भट्ट से ऑनलाइन वीडियो कॉल के जरिए बात करने की मांग की थी. लेकिन कोर्ट ने इस मांग को खारिज कर दिया था. कोर्ट ने केवल आमने-सामने मुलाकात की अनुमति दी है. भट्ट के डिस्चार्ज याचिका पर अगली सुनवाई 3 अगस्त को होगी.
एसआईटी ने किया था चौंकाने वाला दावा
इससे पहले एसआईटी ने अपने हलफनामे में दावा किया था कि तीस्ता सीतलवाड़ कथित तौर पर गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री सहित गुजरात राज्य के कई अधिकारियों और अन्य निर्दोष व्यक्तियों को फंसाने और उन पर मुकदमा चलाने के लिए एक राजनीतिक दल से वित्तीय और कई अन्य लाभ प्राप्त किया था. इतना ही नहीं दावा किया गया था कि तीस्ता ने पीएम नरेंद्र मोदी को फांसी की सजा दिलाने की साजिश रची थी. जिसमें संजीव भट्ट और आरबी श्रीकुमार ने भी सपोर्ट किया था.
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