दिल्ली: मानसून सत्र का आज आखिरी दिन है, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह लोकसभा में भारतीय न्याय संहिता विधेयक, 2023 भारतीय साक्ष्य विधेयक, 2023 और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता बिल पेश किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि 1860 से 2023 तक देश की आपराधिक न्याय प्रणाली अंग्रेजों द्वारा बनाए गए कानूनों के अनुसार कार्य करती रही हैं. तीन कानून बदल जाएंगे और देश में आपराधिक न्याय प्रणाली में बड़ा बदलाव होगा.
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अमित शाह ने क्या कहा?
अमित शाह ने कहा कि इन तीन कानूनों की जगह तीन नए कानून बनाए जाएंगे. इसकी भावना भारतीयों को अधिकार दिलाना होगी. इसका उद्देश्य किसी को दंडित करना नहीं है. इसका मकसद लोगों को न्याय दिलाना होगा. उन्होंने कहा कि 18 राज्यों, 6 केंद्र शासित प्रदेशों, भारत के सर्वोच्च न्यायालय, 22 उच्च न्यायालयों, न्यायिक संस्थानों, 142 सांसदों और 270 विधायकों के अलावा जनता ने भी इस विधेयक पर सुझाव दिए है. चार साल तक इस पर खूब चर्चा हुई इसके लिए हमने 158 बैठकें की हैं.
लोकसभा में बिल पेश करने के बाद चर्चा के दौरान अमित शाह ने आगे कहा कि इस विधेयक के तहत हमने लक्ष्य रखा है कि सजा का अनुपात 90% से ऊपर ले जाना है. इसीलिए, हम एक महत्वपूर्ण प्रावधान लाए हैं कि जिन धाराओं में 7 साल या उससे अधिक जेल की सजा का प्रावधान है, उन सभी मामलों में फॉरेंसिक टीम का अपराध स्थल पर जाना अनिवार्य कर दिया जाएगा.
इसके अलावा उन्होंने कहा कि इस कानून के तहत हम राजद्रोह जैसे कानूनों को निरस्त कर रहे हैं. भारतीय दंड संहिता (नई आईपीसी) में अलगाववाद, सशस्त्र विद्रोह, विध्वंसक गतिविधियों, अलगाववादी गतिविधियों या भारत की संप्रभुता या एकता और अखंडता को खतरा पहुंचाने वाले कृत्यों पर एक नया प्रावधान जोड़ा गया है. इसके साथ ही नाबालिग से दुष्कर्म जैसे मामलों में मौत की सजा का प्रावधान किया गया है.
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