अहमदाबाद: गुजरात सरकार के उच्च और तकनीकी शिक्षा मंत्री ऋषिकेष पटेल ने विधानसभा के पंद्रहवें सत्र में सदन के पटल पर चर्चा के लिए गुजरात पब्लिक यूनिवर्सीटीज बिल रखा था. जिसे विधानसभा में पारित होने के बाद राज्यपाल के पास मंजूरी के लिए भेजा गया था. राज्यपाल की मंजूरी मिलने के बाद इस नये अधिनियम के प्रावधान आज से राज्य के 11 विश्वविद्यालयों में लागू हो जायेंगे.
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इन 11 विश्वविद्यालयों में यह एक्ट लागू किया जाएगा
इस अधिनियम के तहत वडोदरा में महाराजा सयाजीराव यूनिवर्सिटी ऑफ बड़ौदा, अहमदाबाद में गुजरात यूनिवर्सिटी, आनंद में सरदार पटेल यूनिवर्सिटी, सूरत में वीर नर्मद दक्षिण गुजरात यूनिवर्सिटी, राजकोट में सौराष्ट्र यूनिवर्सिटी, भावनगर में महाराजा कृष्णकुमार सिंहजी भावनगर यूनिवर्सिटी, पाटन में हेमचंद्राचार्य उत्तर गुजरात यूनिवर्सिटी, डॉ. बाबा साहेब अंबेडकर मुक्त विश्वविद्यालय, कच्छ में क्रांतिगुरु श्यामजी कृष्ण वर्मा कच्छ विश्वविद्यालय, जूनागढ़ में भक्त कवि नरसिंह मेहता विश्वविद्यालय, गोधरा में श्री गोबिंद गुरु विश्वविद्यालय में लागू कर दिया जाएगा. इस अधिनियम के प्रावधानों से स्वायत्तता, गुणवत्ता और शासन में वृद्धि होगी.
विभिन्न क्षेत्रों में परिवर्तनकारी शोधों को गति मिलेगी
विश्वविद्यालय के चांसलर का कार्यकाल पांच साल का होगा. एक कार्यकाल पूरा होने के बाद दूसरे विश्वविद्यालय के चांसलर को पांच साल के लिए दोबारा नियुक्त किया जा सकता है. इससे विश्वविद्यालय को एक कुशल, गतिशील चांसलर मिलेगा. इस विधेयक के प्रावधानों के अनुपालन से राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 में की गई सिफारिशों का बेहतर कार्यान्वयन हो सकेगा. उचित समन्वय से विश्वविद्यालयों द्वारा उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए सुविधाओं का समुचित उपयोग हो सकेगा, सुव्यवस्थित वित्तीय नियंत्रण होंगे. विभिन्न क्षेत्रों में परिवर्तनकारी अनुसंधान में तेजी आएगी और विश्वविद्यालय को अधिक स्वायत्तता मिलेगी.
शिक्षकों का आरोप विश्वविद्यालयों से उनकी स्वतंत्रता छीन ली जाएगी
बीते माह जब इस बिल को विधानसभा में पेश करने की तैयारी की जा रही थी तब प्रदेश भर में शिक्षकों ने कॉलेजों में काली पट्टी बांधकर और नारे लगाकर इस बिल का विरोध किया था. अध्यापकों ने इस मौके पर मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि इस अधिनियम के लागू होने से अनुदान प्राप्त कॉलेजों और सरकारी विश्वविद्यालयों की स्वतंत्रता खत्म हो जाएगी. निजी विश्वविद्यालय में अधिनियम लागू नहीं होगा इसलिए निजी विश्वविद्यालयों को फायदा होगा. निजी विश्वविद्यालयों में पढ़ने के लिए छात्रों को सस्ती फीस छोड़कर महंगी फीस चुकानी होगी, जिसका हम विरोध कर रहे हैं.
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