अमरेली जिले की धारी सीट सामान्य श्रेणी की है और चुनाव आयोग द्वारा इसे 94वां स्थान दिया गया है. अमरेली लोकसभा सीट के अंतर्गत आने वाली इस विधानसभा सीट के अंतर्गत धारी और बगसरा तालुका के अलावा खांभा तालुका के 28 गांव शामिल हैं. इस सीट पर 2,22,080 मतदाता पंजीकृत हैं. पूरा विधानसभा क्षेत्र ग्रामीण है, जिसकी वजह से अधिकांश जनसंख्या कृषि पर आधारित है. एक समय गुजरात में मूंगफली की खेती में अग्रणी माने जाने इस इलाके में अब तिलहन की खेती व्यापक है, लेकिन कपास अब मुख्य फसल है.
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मिजाज
कृषि की तरह, यह निर्वाचन क्षेत्र समय-समय पर राजनीतिक पौधों को बदलने में माहिर है. यहां कृषि आधारित सरकार की नीति मुख्य रूप से मतदाताओं के राजनीतिक मिजाज को आकार दे रही है. अलग गुजरात की रचना के बाद 1972 तक धारी विधानसभा सीट अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षित थी. लेकिन 1975 के बाद इसे सामान्य श्रेणी का दर्जा दिया गया. उसके बाद यहां ज्यादातर किसान और पाटीदार उम्मीदवार जीतते रहे हैं, लेकिन पार्टी के प्रति अंध वफादारी की बात यहां नहीं दिखती. मनुभाई कोटडिया चिमनभाई पटेल के शासन काल में किसान समर्थक नीति के कारण इस सीट से जीतते रहे थे. उसके बाद कभी बीजेपी तो कभी कांग्रेस कामयाबी हासिल करती रही है. धारी, बगसरा पालिका और पंचायत में बीजेपी सत्ता में है. लेकिन कांग्रेस भी उतनी ही मजबूत मानी जा रही है.
रिकॉर्ड बुक
साल विजेता पार्टी मार्जिन
1998 बालूभाई तंती भाजपा 13752
2002 बालूभाई तंती भाजपा 1774
2007 मनसुखभाई भुवा भाजपा 17862
2012 नलिन कोटडिया जीपीपी 1575
2017 जे.वी. काकडिया कांग्रेस 15336
2020 जे.वी. काकडिया भाजपा 17209
कास्ट फैब्रिक
38% पाटीदार मतदाता वाली इस सीट पर 27,000 कोली मतदाता भी महत्वपूर्ण हैं. कोली समुदाय सहित ओबीसी मतदाताओं का प्रतिशत लगभग 23% है. काठी क्षत्रिय समुदाय के वोट करीब 12,000 हैं. दलित मतदाता 12 फीसदी और मुस्लिम सिर्फ 4 फीसदी हैं. पाटीदार बहुल सीट होने के कारण यहां की राजनीतिक जागरूकता और महत्वाकांक्षा का स्तर भी महत्वपूर्ण है. पिछले दो चुनावों में राज्य सरकार की कृषि नीति और विशेष रूप से पाटीदार आरक्षण आंदोलन के विरोध के कारण सरकार विरोधी माहौल था. इसलिए 2012 में मनुभाई कोटडिया के बेटे नलिन कोटडिया और उसके बाद जे. वी. काकड़िया इस सीट से जीत हासिल करने में कामयाब हुए थे. इस बार इन कारकों में से कोई भी नहीं है, इसलिए संभावना है कि कास्ट फैक्टर ज्यादातर भाजपा का पक्ष लेगा.
समस्या
इस निर्वाचन क्षेत्र की एकमात्र आजीविका कृषि है, लेकिन कृषि आधारित उद्योग यहां विकसित नहीं हुए हैं. इसके अलावा बड़े उद्योगों को लाने की बात सिर्फ चुनावी प्रचार के लिए ही काफी रही है. ग्रामीण क्षेत्रों में सड़कें बेहद खराब हैं और स्वास्थ्य सेवाओं का स्तर खराब बना हुआ है. मिट्टी की उर्वरता का ह्रास गंभीर चिंता का विषय है. बीस साल पहले प्रति बीघा उपज आज काफी कम हो गई है. यह क्षेत्र भूमि सुधार पर सरकारी योजनाओं से वंचित है. कृषि को चौबीसों घंटे बिजली देने का वादा भी सरकारी फाइलों से बाहर नहीं निकल पा रहा है. इसलिए नई पीढ़ी के युवा रोजगार या आगे के विकास के लिए अपनी मातृभूमि छोड़ने को मजबूर हैं.
मौजूदा विधायक का रिपोर्ट कार्ड
2017 में जे.वी. काकडिया इस सीट से कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर बीजेपी के दिग्गज नेता दिलीप संघानी को हराकर विधानसभा पहुंचे थे. उस समय उन्हें किसानों और खासकर पाटीदार आंदोलन से काफी समर्थन मिला था. लेकिन उसके बाद काकाडिया दलबदल कर भाजपा में शामिल हो गए थे उसके बाद हुए उपचुनाव में भी उनको कामयाबी मिली थी. लेकिन उनके नेतृत्व में काफी गिरावट आई है. दलबदल ने स्थानीय स्तर पर उनकी विश्वसनीयता को खत्म कर दिया है. हालांकि स्थानीय जनसंपर्क के अलावा काकाडिया ने जिले में संगठनात्मक स्तर पर भी अच्छी सक्रियता दिखाई है. बावजूद इसके यह पक्के तौर पर नहीं कहा जा सकता कि उन्हें टिकट मिलेगा ही, टिकट नहीं मिलने पर काकडिया क्या करेंगे यह अटकलों का विषय हो सकता है और भाजपा के लिए भी चिंता का विषय भी बन सकता है.
प्रतियोगी कौन?
स्थानीय क्षेत्र के एक समय के दिग्गज पाटीदार नेता मनुभाई कोटडिया के परिवार का क्षेत्र में अच्छा प्रभुत्व था. उपचुनाव में कांग्रेस ने सुरेश कोटडिया को टिकट दिया था. लेकिन वह 17 हजार वोटों से चुनाव हार गए थे. इस बार अगर बीजेपी काकाडिया को टिकट देती है तो पूरी संभावना है कि कांग्रेस कोटडिया को मैदान में उतारेगी. इसके अलावा धारी के मूल निवासी और सूरत में रहने वाले दो पाटीदार नेताओं के नाम भी चर्चा में हैं.
तीसरा कारक
धारी क्षेत्र के पाटीदार सूरत के वराछा, अमरोली, कामरेज इलाकों में बड़ी संख्या में रहते हैं, ऐसे में तय है कि आम आदमी पार्टी इस सीट से मजबूत उम्मीदवार उतारेगी. स्थानीय स्तर पर, आम आदमी पार्टी की उपस्थिति भाजपा की तुलना में कांग्रेस के लिए अधिक चुनौती होगी, क्योंकि आप को अधिकतर भाजपा विरोधी वोट मिलने की संभावना है.
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