कांग्रेस ने कर्नाटक विधानसभा चुनाव के लिए अपना घोषणापत्र जारी कर दिया है. इसमें दावा किया गया है कि बजरंग दल पर उनकी सरकार बनते ही प्रतिबंध लगा दिया जाएगा. बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने दिल्ली और कर्नाटक के मंगलुरु में कांग्रेस मुख्यालय के पास विरोध प्रदर्शन किया और पार्टी से अपना वादा वापस लेने की मांग की. इसके अलावा कार्यकर्ताओं ने कांग्रेस के घोषणापत्र की प्रतियां जलाईं और पार्टी नेता राहुल गांधी के खिलाफ नारे लगाए.
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कांग्रेस के चुनावी घोषणापत्र में क्या था वादा?
कांग्रेस ने मंगलवार को जारी अपने चुनावी घोषणापत्र में कहा कि अगर वह सत्ता में आई तो बजरंग दल और पीएफआई जैसे संगठनों पर प्रतिबंध लगाएगी. इसमें वादा किया गया है कि हमारी पार्टी जाति या धर्म के आधार पर समुदायों के बीच नफरत फैलाने वाले व्यक्तियों और संगठनों के खिलाफ कड़ी और निर्णायक कार्रवाई करने के लिए प्रतिबद्ध है. हम मानते हैं कि कानून और संविधान पवित्र हैं. बहुसंख्यक या अल्पसंख्यक समुदायों और अन्य के बीच दुश्मनी या नफरत को बढ़ावा देने वाले बजरंग दल और पीएफआई जैसे संगठनों पर बैन लगा दिया जाएगा.
दरअसल बजरंग दल आरएसएस से संबद्ध विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) की युवा शाखा है. दिल्ली में विरोध कर रहे वीएचपी नेताओं ने कहा कि बजरंग दल “देश का गौरव” है और अगर कांग्रेस ने वादा वापस नहीं लिया और कर्नाटक चुनाव घोषणापत्र को नहीं बदला, तो बड़े पैमाने पर देशव्यापी आंदोलन शुरू किया जाएगा.
दिल्ली वीएचपी के सचिव सुरेंद्र गुप्ता ने इस मामले को लेकर कहा कि कांग्रेस को अपनी “मानसिकता” बदलनी चाहिए या यह स्वीकार करना चाहिए कि वह “हिंदू विरोधी” है. कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व को हस्तक्षेप करना चाहिए और पार्टी के चुनावी वादे को वापस लेना चाहिए. अगर ऐसा नहीं हुआ तो पूरे देश में आंदोलन शुरू कर देंगे. विश्व हिंदू परिषद ने कर्नाटक में सत्ता में आने पर बजरंग दल पर प्रतिबंध लगाने के कांग्रेस के वादे पर निशाना साधते हुए कहा कि पार्टी ने ‘राष्ट्रवादी’ संगठन को बदनाम किया है.
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