नई दिल्ली: बिलकिस बानो मामले में बरी हुए दोषियों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. सुप्रीम कोर्ट सभी दोषियों को समय से पहले रिहा करने के फैसले के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई के लिए नई बेंच गठित करने की तैयारी में है. गौरतलब है कि 2002 के गोधरा कांड के बाद हुए दंगों में बिलकिस बानो से सामूहिक दुष्कर्म के मामले में सभी 11 आरोपियों को समय से पहले रिहा कर दिया गया था.
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सभी आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी, लेकिन 15 अगस्त 2022 को गुजरात की गोधरा जेल में सजा काट रहे इन कैदियों को गुजरात सरकार की माफी पॉलिसी के तहत जेल से रिहा कर दिया गया था. रिहा किए गए आरोपियों में से कुछ पहले ही 15 साल और कुछ 18 साल जेल में काट चुके हैं. इससे पहले जस्टिस बेला एम त्रिवेदी ने बिलकिस बानो की याचिका पर सुनवाई करने से अपना नाम पीछे खींच लिया था.
बिलकिस बानो ने अपनी वकील शोभा गुप्ता के जरिए दोषियों को बरी किए जाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारडीवाला की पीठ ने बिलकिस और उनकी वकील शोभा गुप्ता को याचिका पर सुनवाई के लिए एक नई बेंच गठित करने का आश्वासन दिया है. बिलकिस की वकील शोभा गुप्ता ने इस मामले में जल्द सुनवाई की मांग की है.
इससे पहले बिलकिस बानो ने कहा था कि उससे जुड़े मामलों में उम्रकैद की सजा काट रहे 11 दोषियों की समय से पहले रिहाई ने न्याय पर से उनके विश्वास को तोड़ दिया है. बिलकिस बानो गैंगरेप और परिवार के सात सदस्यों की हत्या के दोषी सभी 11 लोगों को 15 अगस्त को गोधरा उप-जेल से रिहा कर दिया गया था. भाजपा के नेतृत्व वाली गुजरात सरकार ने इन तमाम को माफ कर दिया था. गुजरात सरकार के इस फैसले के खिलाफ कई लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है.
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