सुप्रीम कोर्ट ने बिलकिस बानो बलात्कार मामले में आजीवन कारावास की सजा पाए 11 दोषियों की रिहाई की अनुमति देने के गुजरात सरकार के आदेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई की, न्यायमूर्ति के.एम. जोसेफ और न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्न की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए अपराध को जघन्य करार देते हुए बिलकिस बानो की याचिका पर केंद्र और गुजरात सरकार को नोटिस जारी किया.
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मामले की सुनवाई करते हुए बिलकिस बानो केस को सुप्रीम कोर्ट ने भयावह बताया और केंद्रीय गृह मंत्रालय से दोषियों की रिहाई से जुड़ी फाइल तैयार करने को कहा है. अदालत ने कहा, वे तय करेंगे कि सजा में छूट पर फैसला करने के लिए सक्षम प्राधिकारी कौन है. 18 अप्रैल को कोर्ट इस मामले में लंबी सुनवाई करेगा. इससे पहले गुजरात सरकार ने एक हलफनामे में सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि यह फैसला दोषियों के अच्छे व्यवहार और उनकी 14 साल की सजा पूरी होने के मद्देनजर केंद्र सरकार की मंजूरी के बाद लिया गया था.
सभी आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी, लेकिन 15 अगस्त 2022 को गुजरात की गोधरा जेल में सजा काट रहे इन कैदियों को गुजरात सरकार की माफी पॉलिसी के तहत जेल से रिहा कर दिया गया था. रिहा किए गए आरोपियों में से कुछ पहले ही 15 साल और कुछ 18 साल जेल में काट चुके हैं. इससे पहले जस्टिस बेला एम त्रिवेदी ने बिलकिस बानो की याचिका पर सुनवाई करने से अपना नाम पीछे खींच लिया था.
इससे पहले बिलकिस बानो ने कहा था कि उससे जुड़े मामलों में उम्रकैद की सजा काट रहे 11 दोषियों की समय से पहले रिहाई ने न्याय पर से उनके विश्वास को तोड़ दिया है. बिलकिस बानो गैंगरेप और परिवार के सात सदस्यों की हत्या के दोषी सभी 11 लोगों को 15 अगस्त को गोधरा उप-जेल से रिहा कर दिया गया था. भाजपा के नेतृत्व वाली गुजरात सरकार ने इन तमाम को माफ कर दिया था. गुजरात सरकार के इस फैसले के खिलाफ कई लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है.
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