नई दिल्ली: जजों की नियुक्ति को लेकर केंद्र सरकार और सुप्रीम कोर्ट के बीच टकराव जारी है. अब केंद्र सरकार जजों की नियुक्ति करने वाले पैनल में अपने प्रतिनिधि के लिए जगह चाहती है, इसे लेकर केंद्रीय कानून मंत्री किरण रिजिजू ने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ को एक पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने लिखा है कि सुप्रीम कोर्ट में केंद्र और हाईकोर्ट में राज्य के प्रतिनिधियों को जगह मिलनी ही चाहिए.
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पारदर्शिता के लिए यह जरूरी है- रिजिजू
केंद्रीय मंत्री ने मुख्य न्यायाधीश से मांग की है कि सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम को पारदर्शिता और सार्वजनिक जवाबदेही के लिए अपने पैनल में एक सरकारी प्रतिनिधि को शामिल करना चाहिए. पिछले महीने, कानून मंत्री ने संसद को बताया कि कॉलेजियम प्रणाली में पारदर्शिता, सामाजिक प्रतिनिधित्व और निष्पक्षता की कमी को लेकर समाज के विभिन्न क्षेत्रों के लोग उनसे मिल रहे है. गौरतलब है कि जजों की नियुक्ति को लेकर केंद्र और सुप्रीम कोर्ट आमने-सामने हैं.
जज के काम को प्रभावित कर रहा है कॉलेजियम
हाल ही में केंद्रीय कानून मंत्री किरण रिजिजू ने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ से मांग किया था कि पारदर्शिता और सार्वजनिक जवाबदेही के लिए सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम प्रणाली ने न्यायाधीशों को बहुत व्यस्त रखा है, जिससे उनका बहुमूल्य समय बर्बाद हो रहा है और न्यायाधीशों के कर्तव्यों को प्रभावित कर रहा है, यह कहते हुए कि संविधान कहता है कि न्यायाधीशों की नियुक्ति में जजों की भूमिका नहीं होनी चाहिए और कार्यपालिका को न्यायपालिका के विचार से यह काम करना चाहिए, लेकिन न्यायपालिका न्यायाधीशों की नियुक्ति कर रही है.
कॉलेजियम के जारी रहने तक उसका पालन करेगी सरकार- रिजिजू
किरण रिजिजू ने कहा कि जब तक कॉलेजियम सिस्टम रहेगा, सरकार इसका पालन करेगी. हालांकि, कभी-कभी प्रक्रिया के ज्ञापन के संबंध में प्रश्न उठता है. मेमोरेंडम ऑफ प्रोसीजर सरकार और न्यायपालिका के बीच एक समझौता है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के जजों की नियुक्ति से संबंधित दिशा-निर्देश शामिल हैं, उन्होंने कहा, अगर सुप्रीम कोर्ट किसी फैसले के जरिए इसे पलटता या संशोधित करता है, तो समस्याएं पैदा हो सकती हैं.
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