मध्य गुजरात का प्रवेश द्वार कहे जाने वाले खेड़ा जिले की नडियाद सीट की संख्या 116 है. सामान्य वर्ग की यह सीट खेड़ा लोकसभा के अंतर्गत आती है. जिसमें नडियाद, उत्तरसंडा, वडताल और कणजरी समेत 14 गांवों के कुल 2,72,168 मतदाता हैं. साक्षारभूमि की उपाधि के साथ नाडियाद का पौराणिक नाम नटपुर था. गुजराती ग़ज़ल हो या उपन्यास, नडियाद में साहित्य का पहला दीप प्रज्ज्वलित किया गया है. गोवर्धनराम त्रिपाठी, बालाशंकर कंथारिया, मणिलाल द्विवेदी जैसे साहित्यकारों की यह भूमि सरदार पटेल की जन्मभूमि होने का भी गौरव प्राप्त है. अब तंबाकू की खेती, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं के केंद्र के रूप में जाना जाता है.
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मिजाज
डाहिलक्ष्मी पुस्तकालय जैसी अनुकरणीय संस्थाओं और संतराम महाराज जैसे दिव्यपुरुष के आशीर्वाद से नडियाद को राजनीतिक रूप से जागरूक माना जाता है. चाहे महागुजरात आंदोलन हो या आरक्षण आंदोलन, नडियाद ने हमेशा दृढ़ रुख का समर्थन किया. राजनीतिक दलों की विचारधारा के अलावा नडियादवासी अपने प्रतिनिधि की मांग करते हैं. इसलिए यहां पिछले बारह चुनावों में सिर्फ तीन चेहरे बदले हैं. दिनशा पटेल और पंकज देसाई पांच-पांच बार निर्वाचित हुए हैं. जबकि एक बार धीरेन देसाई को मौका मिला है. यहां की जनता का विश्वास हासिल करने वालों को जनता लगाता मौका देती रहती है. इस बात को भी नडियाद की विशेषता समझनी चाहिए.
रिकॉर्ड बुक
साल विजेता पार्टी मार्जिन
1998 पंकज देसाई भाजपा 13264
2002 पंकज देसाई भाजपा 23624
2007 पंकज देसाई भाजपा 13360
2012 पंकज देसाई भाजपा 6587
2017 पंकज देसाई भाजपा 20838
कास्ट फैब्रिक
करीब 30 हजार पाटीदार मतदाताओं वाली नडियाद विधानसभा सीट से बिना किसी अपवाद के पाटीदार ही विधायक चुने गए हैं, अनुसूचित जाति की आबादी लगभग 18,000 है, इसके बाद लगभग 25,000 मुस्लिम मतदाता हैं. ब्राह्मण और बनिया की भी यहां महत्वपूर्ण संख्या 16000 है. हर राजनीतिक दल एक गैर-पाटीदार समीकरण को सेट करने की कोशिश करता है, लेकिन कोई भी अंतिम समय में गैर-पाटीदार उम्मीदवार पर किस्मत आजमाने की हिम्मत नहीं करता है. स्थानिक पाटीदार दोनों दलों के उम्मीदवारों को देखने बाद किसी एक उम्मीदवार के लिए सामूहिक रूप से मतदान करने के आदी माने जा रहे हैं.
समस्या
सत्ताधारी भाजपा के उम्मीदवार को यहां से लगातार कामयाबी मिलने के बाद भी नडियाद को अभी भी वर्षा जल निकासी और यातायात जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. अहमदाबाद-मुंबई रोड पर होने के बावजूद, नडियाद को कोई बड़ा उद्योग नहीं मिला है, परिणामस्वरूप सहायक उद्योग विकसित नहीं हुए हैं. नए क्षेत्र बेतरतीब ढंग से विकसित होते जा रहे हैं जहां सीवर, सड़क या जल निकासी व्यवस्था नहीं है. स्मार्ट सिटी हो या ग्लोबल सिटी के वादे खोखले साबित हो रहे हैं.
मौजूदा विधायक का रिपोर्ट कार्ड
लगातार पांच बार जीत दर्ज करने वाले पंकज देसाई की यहां की जमीन पर अच्छी पकड़ है. एक समय उन्हें दिनशा पटेल का शिष्य माना जाता था. लेकिन बाद में गुरु को हराकर वह ज्वाइंट किलर बने और तभी से उनका इस इलाके पर दबदबा बना हुआ है. उन्हें भाजपा में मोदी-शाह के करीबी के रूप में देखा जाता है. इसीलिए विजय रूपाणी सरकार में सभी को जिम्मेदारी मुक्त करने के बावजूद पंकज देसाई को असाधारण माना गया है और उनको दंडक के रूप में जारी रखा गया है. इसे देखते हुए उन्हें फिर से टिकट के आवंटन में असाधारण माना जा सकता है. इस बार भाजपा शहरी इलाके से महिला उम्मीदवार को मौका देने की योजना बना रही है जिसकी वजह से जाह्नवी व्यास के लिए इस बार स्थिति उज्ज्वल है.
प्रतियोगी कौन?
कांग्रेस पिछले पच्चीस साल से इस सीट पर हाशिए पर है. पंकज देसाई ने विधायक के रूप में अपने पांच कार्यकालों के दौरान किसी को भी प्रतिद्वंद्वी के रूप में खड़े होने का मौका ही नहीं दिया. नगर पालिका और पंचायतों में भी भाजपा का दबदबा है. ऐसे में कांग्रेस के लिए उम्मीदवार ढूंढना मुश्किल है. पिछला चुनाव हार चुके जितेंद्र पटेल एक बार फिर चुनाव लड़ने की योजना बना रहे हैं. अगर बीजेपी महिला उम्मीदवार के तौर पर जाह्नवी व्यास को मौका देती है तो कांग्रेस ब्राह्मण उम्मीदवार के तौर पर शहर अध्यक्ष हार्दिक भट्ट को खड़ा कर सकती है.
तीसरा कारक:
शहरी क्षेत्र की वजह से आम आदमी पार्टी यहां लगातार सुर्खियों में बने रहने की कोशिश कर रही है, लेकिन सही उम्मीदवार का चयन सबसे बड़ी समस्या है. आम आदमी पार्टी यहां तब उभर सकती है जब कोई नामांकित डॉक्टर या फिर किसी करिश्माई गैर राजनीतिक चेहरा को चुनावी मैदान में उतारने में कामयाबी हासिल कर पाए. अगर एक अच्छा उम्मीदवार खड़ा किया जाता है, तो भाजपा की मार्जिन कम हो सकती है. लेकिन चुनावी परिणाम पर कोई खास फर्क पड़ता नहीं दिख रहा है.
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