गुजरात सरकार के कड़े विरोध के बावजूद सुप्रीम कोर्ट ने 2002 के गोधरा दंगों के एक दोषी को जमानत दे दी है. कोर्ट ने कहा कि आरोपी फारूक 2004 से जेल में है, इसलिए उसे जमानत पर जेल से रिहा किया जाए. बाकी 17 दोषियों की अपील पर सुप्रीम कोर्ट छुट्टियों के बाद सुनवाई करेगा. दोषी पत्थराव करने के आरोप में जेल में बंद हैं. सुनवाई के दौरान जमानत का विरोध करते हुए गुजरात सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा- यह सिर्फ पथराव नहीं था, यह एक जघन्य अपराध था, क्योंकि लोगों को जलती हुई ट्रेन से बाहर निकलने नहीं दिया जा रहा था.
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पिछली सुनवाई में भी गुजरात सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दोषियों को बरी किए जाने का विरोध किया था. गुजरात सरकार ने पत्थरबाजों की भूमिका को गंभीर माना था.
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट में दलील देते हुए कहा था कि यह सिर्फ पथराव का मामला नहीं है, पथराव के कारण पीड़ित जलती हुई बोगी से बाहर नहीं निकल पाए थे. पथराव करने वालों की मंशा थी कि जलती बोगी से कोई यात्री बाहर न निकल सके और बाहर से कोई उन्हें बचाने न आ सके.
इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इनमें से कुछ दोषी पथराव करने वाले थे और उन्होंने लंबा समय जेल में बिताया है. ऐसे में कुछ को जमानत पर रिहा किया जा सकता है. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत को आश्वासन दिया कि वह प्रत्येक दोषी की भूमिका की जांच करेंगे और क्या कुछ को जमानत पर रिहा किया जा सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार से 15 दिसंबर को अपनी रिपोर्ट देने का आदेश दिया था.
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