राजस्थान कांग्रेस में अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच की गरमाहट अब विधायकों तक पहुंच गई है. गहलोत ने बीते दिनों मीडिया से बातचीत करते हुए सचिन पायलट को ‘देशद्रोही’ कहा था. उन्होंने कहा कि पायलट 2020 में पार्टी के खिलाफ विद्रोह किया था और राज्य सरकार को गिराने की कोशिश की थी, इसलिए उन्हें मुख्यमंत्री नहीं बनाया जा सकता.
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गहलोत के बयान पर सचिन का पलटवार
सचिन ने अशोक गहलोत को विनम्र भाषा के प्रयोग की सलाह देते हुए कहा कि ऐसे अनुभवी व्यक्ति को ऐसी भाषा का प्रयोग नहीं करना चाहिए. इसके साथ ही पायलट ने कहा कि भाजपा को हराने और राहुल गांधी के हाथ मजबूत करने के लिए एकजुट होकर लड़ने की प्राथमिकता होनी चाहिए. पायलट ने कहा कि गहलोत उन्हें ‘देशद्रोही, बेकार, गद्दार आदि’ कह रहे हैं, लेकिन उनकी परवरिश ने उन्हें इस तरह की भाषा का इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं देती. राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री पायलट ने कहा कि अभद्र शब्दों के प्रयोग, कीचड़ उछालने और आरोप-प्रत्यारोप करने से कोई उद्देश्य पूरा नहीं होगा.
इस बीच आज न्यूज एजेंसी एएनआई से बातचीत में राजस्थान सरकार के मंत्री आरएस गुडा ने दावा किया कि राजस्थान के 80 फीसदी विधायक सचिन पायलट के साथ हैं. उन्होंने कहा, ”गहलोत अपनी कुर्सी पर इसलिए बैठे हैं क्योंकि कांग्रेस आलाकमान का उन पर हाथ है. मैं कहता हूं कि आमने-सामने की प्रतियोगिता होनी चाहिए. अगर राज्य के 80 फीसदी विधायक सचिन पायलट के साथ नहीं आते हैं तो हम अपना दावा छोड़ देंगे.
गुडा ने यह भी कहा, “वे उन्हें निकम्मो, नकारा और भी बहुत कुछ कहते रहते हैं. लेकिन आपको बता दें कि राजस्थान की सेहत के लिए उनसे बेहतर नेता कोई नहीं हो सकता है.
यह पहली बार नहीं है जब सचिन पायलट और अशोक गहलोत के गुट इस तरह खुलेआम भिड़े हैं. इससे पहले कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव के दौरान दोनों गुट आपस में भिड़ गए थे. दो साल पहले जून 2020 में सचिन पायलट और अशोक गहलोत के बीच मुकाबला हुआ था. तब सचिन पायलट ने गहलोत के खिलाफ खुलकर बगावत कर दी थी.
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