गांधीनगर: 23 फरवरी को गृह राज्य मंत्री हर्ष सांघवी ने गुजरात विधानसभा में गुजरात सार्वजनिक परीक्षा विधेयक पेश किया था. गुजरात सार्वजनिक परीक्षा विधेयक विधानसभा सदन में सर्वसम्मति से पारित हो गया था. जिसके बाद राज्य के राज्यपाल के पास इस विधेयक को भेजा गया था. अब राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने इस विधेयक पर मंजूरी की मुहर लगा दी है. जिसके बाद यह कानून बन गया है और पूरे गुजरात में आज से लागू कर दिया गया है.
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यह बिल राज्य सरकार द्वारा परीक्षाओं में कदाचार को रोकने के लिए लाया गया है. राज्य सरकार ने इस विधेयक में 23 प्रावधान रखे हैं. इससे पहले इस विधेयक के तहत गुजरात स्टेट बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एंड हायर सेकेंडरी एजुकेशन द्वारा आयोजित कक्षा 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं को भी शामिल किया गया था, इसके साथ ही राज्य सरकार से वित्तीय सहायता प्राप्त करने वाले राज्य वित्तपोषित विश्वविद्यालयों को भी शामिल किया गया था. लेकिन विधानसभा में पारित होने से पहले विधेयक में संशोधन किया गया और शैक्षिक बोर्डों और राज्य वित्तपोषित विश्वविद्यालयों को विधेयक के प्रावधानों से बाहर कर दिया गया था.
पेपर लीक करने वाले के खिलाफ किस तरह की सजा का प्रावधान
पेपर खरीदने वाले परीक्षार्थी को 3 साल की कैद और 1 लाख का जुर्माना
जो लोग परीक्षा प्रक्रिया में शामिल हैं और वह लोग पेपर लीक करते हुए पकड़े जाते हैं उनको 5 साल की कैद और 1 लाख के जुर्माने से दंडित किया जाएगा
जिनका परीक्षा से कोई लेना देना नहीं है और प्रक्रिया का हिस्सा भी नहीं हैं ऐसे लोग पेपर लीक करते हैं उनको 7 साल की कैद और 1 करोड़ के जुर्माने का प्रावधान किया गया है
गौरतलब है कि नई सरकार बनने के कुछ दिनों के भीतर ही जूनियर क्लर्क परीक्षा का पेपर लीक हो गया था जिसकी वजह से सरकार को 9.53 लाख अभ्यर्थियों की नाराजगी झेलनी पड़ी थी. भविष्य में इस प्रकार की घटना न हो इसके लिए राज्य सरकार ने दो महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं. आईपीएस हसमुख पटेल को पंचायत सेवा चयन बोर्ड का अध्यक्ष बनाया गया है और दूसरा राज्य सरकार पेपर लीक करने वालों के खिलाफ सख्त कानून बनाया है.
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