गुजरात उच्च न्यायालय द्वारा एक ऐतिहासिक फैसला लिया गया है, जिसमें पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर देश में पहली बार अहमदाबाद समेत 32 जिलों के प्रधान जिला न्यायाधीश सहित अदालती कार्यवाही का सीधा प्रसारण किया जाएगा. जिसे वकील, पक्षकार समेत कोई भी व्यक्ति देख सकता है. इस ऐतिहासिक फैसले को लेकर गुजरात हाईकोर्ट ने विशेष दिशा-निर्देश/एसओपी जारी किया है. जिसे सुप्रीम कोर्ट की ई-कमेटी द्वारा जारी मॉडल नियमों के आधार पर तैयार किया गया है. राज्य की सभी निचली अदालतें इन एसओपी और दिशानिर्देशों का पालन करेंगी. निचली अदालतों की कार्यवाही के सीधे प्रसारण के लिए राज्य के विभिन्न न्यायालयों में आवश्यक हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर स्थापित किए गए हैं. इस मामले को लेकर परीक्षण भी किया जा चुका है.
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रिकॉर्डिंग, व्यक्तिगत रूप से प्रचार, इलेक्ट्रॉनिक-प्रिंट मीडिया पर प्रतिबंध
हाईकोर्ट ने अपने दिशा-निर्देश में स्पष्ट कहा है कि निचली अदालतों की कार्यवाही के लाइव टेलीकास्ट की रिकॉर्डिंग सिर्फ कोर्ट अथॉरिटी ही कर सकती है. प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से अदालती कार्यवाही के लाइव प्रसारण की रिकॉर्डिंग नहीं की जाएगी, अगर कोई व्यक्ति इस वीडियो को सोशल प्लेटफॉर्म पर अपलोड करता है तो कानून के अनुसार कार्रवाई की जाएगी.
इन मामलों का सीधा प्रसारण नहीं किया जाएगा
वैवाहिक जीवन, गोद लेने या बच्चों की हिरासत से संबंधित मामले, आईपीसी की धारा-376 के तहत यौन अपराध, महिलाओं के खिलाफ लिंग संबंधी अपराध, पॉक्सो अधिनियम के तहत मामले, किशोर न्याय के तहत मामले, गर्भावस्था की चिकित्सा समाप्ति अधिनियम के तहत मामले, बंद कमरे में कार्यवाही, जिरह सहित सबूतों की रिकॉर्डिंग, मुख्य न्यायाधीश की पीठ द्वारा विशेष रूप से आदेशित मामले की कार्यवाही को सीधे प्रसारण से बाहर रखा गया है.
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