अहमदाबाद: गुजरात में रैली या फिर विरोध प्रदर्शन की अनुमति को लेकर दायर जनहित याचिका पर गुजरात हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. हाईकोर्ट ने कहा कि हर नागरिक को प्रदर्शन या फिर रैलियों के नियमों को जानने का अधिकार है. इसके अलावा विरोध प्रदर्शन की अनुमति क्यों नहीं दी गई, इसकी जानकारी लेने का भी अधिकार है. इसके साथ ही कोर्ट ने पुलिस कमिश्नर को आदेश दिया है कि वे एक महीने के भीतर मंजूरी संबंधी नियम वेबसाइट पर डाल दें.
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राज्य में एक लड़की ने नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में पुलिस से अनुमति मांगी, लेकिन पुलिस कमिश्नर ने याचिका खारिज कर दी थी. पुलिस ने लड़की के आवेदन को कारणों और प्रदर्शन के नियमों के बारे में बताए बिना खारिज कर दिया था. उसके बाद लड़की ने सूचना के अधिकार कानून के तहत इसकी जानकारी तलब की थी. लेकिन पुलिस ने इसका भी कोई जवाब नहीं दिया.
पुलिस से कोई जानकारी नहीं मिलने पर आखिरकार लड़की ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया और इस संबंध में हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल की थी. उसने हाईकोर्ट में सामान्य नागरिकों के प्रदर्शन, रैली की अनुमति लेने के लिए नियमों को पुलिस की वेबसाइट पर डालने का अनुरोध किया था.
गुजरात उच्च न्यायालय ने इस याचिका पर एक महत्वपूर्ण टिप्पणी की और आरटीआई के बारे में कहा कि सूचना के अधिकार अधिनियम को पुलिस द्वारा दरकिनार नहीं किया जा सकता है और प्रत्येक नागरिक को विरोध, रैलियों या प्रदर्शनों की अनुमति लेने के नियमों को जानने का अधिकार है. इसके साथ ही गुजरात उच्च न्यायालय ने पुलिस आयुक्त को आम नागरिकों के लिए नियमों को वेब पोर्टल पर डालने का आदेश दिया है.
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