अरुणाचल प्रदेश के तवांग में नौ दिसंबर को भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच झड़प के बाद से स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है. इन सबके बीच भारतीय वायुसेना गुरुवार से पूर्वोत्तर में चीन सीमा के पास दो दिवसीय (15 और 16 दिसंबर) सैन्य अभ्यास करेगी. इस युद्धाभ्यास में राफेल, सुखोई समेत देश के लगभग सभी फ्रंटलाइन फाइटर जेट अपना दमखम दिखाएंगे. सूत्रों के मुताबिक, अभ्यास का मकसद पूर्वोत्तर में भारतीय वायु सेना की युद्धक क्षमता और सैन्य तैयारियों का परीक्षण करना है.
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सूत्रों का कहना है कि भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच झड़प से पहले ही अभ्यास निर्धारित किया जा चुका था. ऐसे में इसका तवांग के यांग्त्से में हुई झड़प से कोई लेना-देना नहीं है. इस अभ्यास में सुखोई-30 एमकेआई, राफेल समेत सभी फ्रंटलाइन लड़ाकू विमान शामिल होंगे. सूत्रों के मुताबिक इस अभ्यास में भारत के सभी फ्रंटलाइन एयरबेस और कुछ एडवांस लैंडिंग ग्राउंड का भी इस्तेमाल किया जाएगा.
2020 में पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के बीच सीमा विवाद हुआ था. तब से भारतीय सेना और वायु सेना ने पिछले दो वर्षों से अरुणाचल और सिक्किम में वास्तविक नियंत्रण रेखा के साथ उच्च स्तर की परिचालन तत्परता बनाए रखी है. पिछले हफ्ते भी भारतीय वायुसेना ने एलएसी के पास चीनी गतिविधियों को देखते हुए तवांग में लड़ाकू विमानों की तैनाती की थी. दरअसल, 9 दिसंबर को तवांग में हुई झड़प से पहले चीनी ड्रोन 2-3 बार एलएसी के करीब आए, उसके बाद भारतीय वायुसेना के सुखोई-30 विमान में उनको खदेड़ दिया था.
कहां से उड़ेंगे फाइटर जेट?
वायुसेना का अभ्यास तेजपुर, चबुआ, जोरहाट और हाशिमारा एयरबेस पर होगा. यह अभ्यास वायु सेना की पूर्वी कमान द्वारा आयोजित किया जाएगा. चीन, बांग्लादेश और म्यांमार की सीमाओं की निगरानी उत्तर पूर्वी कमान द्वारा की जाती है.
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