अहमदाबाद: देश में लोकतंत्र और संविधान को सुरक्षित बनाए रखने की मुहिम के तहत लोकराजनिति मंच और प्लूरालिस्ट इंडिया द्वारा एक दिवसीय सेमिनार का आयोजन अहमदाबाद स्थित सरदार पटेल स्मृति भवन में हुआ. सेमिनार का विषय “लोकतंत्र बचाओ, संविधान बचाओ” था. सेमिनार के पहले सेशन की अध्यक्षता प्लूरालिस्ट इंडिया के महेंद्र भावसार ने की, पहले सेशन के मुख्य प्रवक्ता और अतिथि पूर्व सांसद देबा प्रसाद रॉय ने भारतीय स्वतंत्रता के इतिहास के संघर्ष और प्लूरालिस्ट भारत के इतिहास पर ज़ोर दिया.
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समारोह को संबोधित करते हुए पूर्व सांसद ने कहा कि आज़ादी की लड़ाई में किसी एक व्यक्ति या पार्टी की भूमिका नहीं थी. बल्कि सबने मिलकर संघर्ष किया तब जाकर आज़ादी मिली थी. उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने देश की लिंग्विस्टिक प्रोविंस और प्लूरिस्ट कल्चर को समझा था लेकिन आज की केंद्र सरकार इसे समझ नहीं पा रही है जिसकी वजह से भाषाई लड़ाई बढ़ रही है.
सेमिनार के मुख्य वक्ता प्रोफेसर हेमंत शाह ने अपने संबोधन में कहा कि इस समय देश को टुकड़े टुकड़े करने की दिशा में काम किया जा रहा है. लोकतंत का अर्थ चुनाव तंत्र नहीं होता है. चुनाव तो चीन में भी होता है, चीन एक आज़ाद देश है. लेकिन चीन की जनता आजाद नहीं है. उसी प्रकार भारत एक आज़ाद देश है और देश की जनता को एक बार फिर गुलाम बनाने की कोशिश की जा रही है.
मैग्सेसे अवार्ड से सम्मानित संदीप पाण्डेय ने पीएम मोदी के अमेरिका दौरे के दौरान दिए गए भाषण पर निशाना साधते हुए कहा कि यह कह देना बहुत आसान है कि लोकतंत्र भारत के डीएनए में है. उन्होंने की इमरजेंसी का जिक्र करते हुए कहा कि उस वक्त बहुत सारे लोगों को जेल में डाल दिया गया था. लेकिन बाद में उनको रिहा भी कर दिया गया था. लेकिन आज के अघोषित इमरजेंसी में 4-4 वर्षों से लोग जेल में हैं. कांग्रेस से लड़ना आसान था वह सुझाओं को मानती भी थी, विरोध को सुनती भी थी. लेकिन बीजेपी लोकतंत्र में मानती ही नहीं है. कांग्रेस की देन है कि आज देश में शिक्षा का अधिकार, सूचना का अधिकार जैसे जनहित के कानून हैं.
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