दिल्ली/अहमदाबाद: सुप्रीम कोर्ट ने 27 हफ्ते की गर्भवती महिला को गर्भपात की इजाजत दे दी है. कोर्ट ने अपनी संवैधानिक शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए ऐतिहासिक फैसला सुनाया है. मेडिकल रिपोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है और अब रेप पीड़िता को गर्भपात की इजाजत दे दी है. गौरतलब है कि गुजरात हाई कोर्ट ने 17 अगस्त को पीड़ित महिला की गर्भपात की याचिका खारिज कर दी थी. जिसके बाद पीड़िता ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखाटा था.
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मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मेडिकल रिपोर्ट मांगी थी. जिसमें बताया गया था कि इस अवस्था में महिला का गर्भ समाप्त किया जा सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर भ्रूण जीवित रहता है तो उसे इनक्यूबेटर में रखें और सुनिश्चित करें कि वह जीवित रहे. यह सरकार की जिम्मेदारी होगी कि कानून के तहत बच्चे को गोद लिया जा सके. आम तौर पर कानून के मुताबिक बलात्कार पीड़िता को 24 सप्ताह तक गर्भपात कराने की इजाजत होती है. लेकिन इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अपने विशेष अधिकार का इस्तेमाल करते हुए गर्भपात की इजाजत दे दी है.
सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात की एक रेप पीड़िता को गर्भपात की इजाजत दे दी है. सुप्रीम कोर्ट के अनुसार, भारतीय समाज में विवाह संस्था में गर्भधारण एक जोड़े और समाज के लिए खुशी का साधन है. हालांकि, जब कोई महिला अपनी इच्छा के विरुद्ध गर्भवती हो जाती है, तो इसका महिला के मानसिक स्वास्थ्य पर भारी असर पड़ता है. जस्टिस बीवी नागरत्ना और उज्जवल भुइयां की बेंच ने पीडिता की मेडिकल रिपोर्ट पर ध्यान देते हुए कहा कि गुजरात हाई कोर्ट द्वारा पीड़िता की याचिका को खारिज करना सही नहीं था.
गौरतलब है कि इससे पहले 19 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करते हुए गुजरात हाई कोर्ट पर नाराजगी जताई थी. साथ ही मेडकिल बोर्ड से नवीनतम रिपोर्ट भी मांगी थी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि गुजरात हाई कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करके काफी समय बर्बाद किया है. गुजरात हाई कोर्ट ने सरकारी नीति का हवाला देते हुए और मेडिकल जोखिम के आधार पर पीड़िता की याचिका खारिज कर दी थी. गुजरात हाई कोर्ट के इस आदेश के बाद पीड़िता ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.
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