अहमदाबाद: गुजरात में आवारा मवेशियों की समस्या गंभीर रूप धारण कर ली है. आवारा मवेशियों की बढ़ती संख्या से जनता परेशान नजर आ रही है. वहीं दूसरी प्रशासन भी इस मामले में चुप्पी साधे हुए है. सड़कों पर घूम रहे जानवरों का शिकार वाहन चालक, पैदल यात्री और छोटे बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक लगातार हो रहे हैं. इस मामले को लेकर गुजरात हाई कोर्ट भी नाराजगी जता चुकी है. गुजरात हाई कोर्ट ने सरकार को आवारा जानवरों की समस्या के समाधान के लिए गंभीरता से काम करने की चेतावनी दी थी. जिसके बाद अहमदाबाद नगर निगम ने नई मवेशी नियंत्रण नीति को मंजूरी दे दी है. वहीं, अब केंद्रीय मंत्री पुरूषोत्तम रूपाला ने दावा किया है कि आवारा मवेशियों की समस्या का समाधान जल्द हो जाएगा.
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गोबर की कीमत मिलने पर पशुपालक मवेशियों को नहीं छोड़ंगे
केंद्रीय मंत्री पुरूषोत्तम रूपाला ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि गुजरात सरकार राज्य में आवारा मवेशियों की समस्या के समाधान के लिए नई तकनीक पर विचार कर रही है. सरकार गोबर धन योजना लागू कर इस समस्या का समाधान करेगी. सरकार दूध के साथ पशुपालकों से गोबर भी खरीदेगी. पशुपालकों और किसानों से अब दूध के साथ दो रुपये प्रति किलो गोबर भी खरीदा जाएगा. दुधारू मवेशियों के गोबर की कीमत मिलने के बाद पशुपालक मवेशियों को रोड-रास्ते पर घूमने के लिए नहीं छोड़ेंग.
केंद्र सरकार की गोबर धन योजना क्या है?
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में पेश बजट में ‘गोबर धन योजना’ के तहत देश में 500 नए ‘वेस्ट-टू-वेल्थ’ प्लांट स्थापित करने की घोषणा की थी. जिसका लाभ किसानों और पशुपालकों को मिलेगा. भारत सरकार के जल शक्ति मंत्रालय के पेयजल एवं स्वच्छता विभाग द्वारा 30 अप्रैल 2018 को गोबर (गैल्वनाइजिंग ऑर्गेनिक बायो-एग्रो रिसोर्सेज) धन योजना शुरू की गई थी. ‘गोबर धन योजना’ का मुख्य उद्देश्य गांव और शहरों के पशुओं के गोबर और फसल के अवशेषों को बायोगैस और जैविक उर्वरकों में परिवर्तित करके पर्यावरण को प्रदूषणमुक्त करना है.
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