अहमदाबाद: गुजरात के बोटाद में स्थित सालंगपुरधाम में हनुमानजी की भव्य प्रतिमा के नीचे भित्तिचित्रों में हनुमानजी को सहजानंद स्वामी के सेवक के रूप में चित्रित करने से विवाद उत्पन्न हो गया था. विवाद को खत्म करने के लिए भित्ति चित्र हटाने का फैसला लिया गया था, ताकि मामले को शांत किया जा सके. भित्तिचित्रों को लेकर विवाद सुलझने के बाद भी स्वामीनारायण और सनातन धर्म के बीच विवाद बढ़ता जा रहा है. वहीं अब इस मामले को लेकर सियासी बयानबाजी भी तेज हो गई है.
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जहां एक तरफ सनातन धर्म के लोग आरपार की लड़ाई के मूड में हैं, वहीं, अब इस मुद्दे पर बीजेपी विधायक का बयान देते हुए वीडियो वायरल हो गया है. कलोल विधायक फतेसिंह चौहान स्वामीनारायण संप्रदाय पर बयान देते हुए कहते हैं कि मैं एक बार सोखड़ा गया था और सत्संग में मैंने कहा था कि क्या आप सद्गुरु को मानते हैं? तभी एक शख्स ने कहा कि ‘नहीं’ लेकिन क्यों? स्वामीनारायण संप्रदाय ज्ञान का अखाड़ा नहीं बल्कि धन इकट्ठा करने की संस्था है, वहां धर्म का कोई ज्ञान नहीं है. संप्रदाय के कई मंदिरों में झगड़े होते रहते हैं और व्यभिचारी साधु मीडिया में आते रहते हैं.
दिनेश प्रसाद के वायरल वीडियो के बाद विवाद बढ़ गया
राजकोट के स्वामीनारायण संप्रदाय के आचार्य दिनेश प्रसाद द्वारा सनातन धर्म के देवी-देवताओं का अपमान करने का एक वीडियो इस समय सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. वीडियो में आचार्य दिनेश प्रसाद कहते सुने जा रहे हैं कि देवी-देवताओं को हटाना है, भगवान का आदेश है, यह जो कुछ हो रहा है, इसे भगवान की लीली समझें, भगवान स्वामीनारायण अब सनातनियों से प्रसन्न नहीं हैं और हमारा अब किसी भी देवता से कोई संबंध नहीं रहेगा. स्वामीनारायण भगवान पूरे धर्म को अलग कर रहे हैं. स्वामीनारायण उन हिंदुओं को स्वीकार करेंगे जो देवी-देवताओं में विश्वास नहीं करते, किसी सनातनी को आने की जरूरत नहीं है.
सनातनी संतों में बढ़ा आक्रोश
दिनेश प्रसाद के बयान के बाद संतों और भक्तों में हंगामा मच गया है. दिनेश प्रसाद के बयान के बाद ज्योतिनाथ महाराज ने कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि स्वामीनारायण संप्रदाय से जुड़े लोग अब हद पार कर चुका है. स्वामीनारायण संप्रदाय को सनातन धर्म के प्रतीक का इस्तेमाल बंद कर देना चाहिए. स्वामीनारायण संप्रदाय के मंदिरों में स्थापित देवताओं को हमें सौंप दें. स्वामीनारायण संप्रदाय के साधुओं द्वारा की जा रही गुंडागर्दी स्वीकार नहीं की जाएगी.
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