अहमदाबाद: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान के बाद पूरे देश में समान नागरिक संहिता की चर्चा चल रही है. संभावना है कि केंद्र सरकार इसी महीने शुरू होने वाले संसद के मानसून सत्र में इसे सदन में पेश कर सकती है. जहां मुस्लिम संगठन इसका विरोध कर रहे हैं, वहीं राजनीतिक दल इस मामले को लेकर अलग-अलग हिस्सों में बंटे हुए हैं. आप संयोजक अरविंद केजरीवाल पहले ही यूसीसी के समर्थन का ऐलान कर चुके हैं. लेकिन उनके इस समर्थन से गुजरात में पार्टी दो हिस्सों में बंट गई है. गुजरात में यूसीसी पर आप के समर्थन से आदिवासी नेता नाराज हैं.
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आप विधायक चैतर वसावा ने नर्मदा जिले के राजपीपला में पूरे गुजरात के आदिवासी समुदाय के नेताओं के साथ टाउन हॉल बैठक की, जिसमें केंद्र सरकार द्वारा लाए जाने वाले समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के मुद्दे पर चर्चा की गई. आम आदमी पार्टी के सभी आदिवासी नेताओं और आदिवासी समाज के नेताओं ने विरोध प्रदर्शन किया और भविष्य में देशव्यापी संघर्ष की रणनीति तैयार की है.
इस मौके पर गुजरात आम आदमी पार्टी के विधायक चैतर वसावा ने बड़ा बयान देते हुए कहा कि हम आदिवासी समाज के साथ खड़े हैं और आगे भी खड़े रहेंगे, अगर हमारी आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ड्राफ्ट तैयार होने के बाद भी यूसीसी का समर्थन करते हैं, तो मैं आम आदमी पार्टी से इस्तीफा दे दूंगा. आम आदमी पार्टी विधायक चैतर वसावा के मुताबिक आदिवासी समाज को संविधान ने कुछ विशेष अधिकार दिए हैं. हमारे समुदाय में विवाह की प्रथा, जन्म-मृत्यु से जुड़ी परंपरा अलग है. इसके अलावा दो पत्नी रखने जैसी परंपराएं हैं.
गौरतलब है कि आम आदमी पार्टी के नेता जिन्होंने नंदोद से विधानसभा चुनाव लड़ा था और उन्हें अच्छे खासे वोट मिले थे. प्रफुल्ल वसावा ने अरविंद केजरीवाल को पत्र लिखकर इस्तीफा दे दिया है. समान नागरिक संहिता को लेकर गुजरात में पार्टी दो हिस्सों में बंट गई है. इतना ही नहीं आप विधायक इस कानून के खिलाफ गुजरात के आदिवासी समुदाय को लामबद्ध करने की कोशिशों में जुट गये हैं.
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