आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के बयान पर सियासत तेज हो गई है. भागवत ने कहा कि भारत में मुसलमानों को डरने की कोई बात नहीं है, लेकिन उन्हें वर्चस्व का अपना दावा छोड़ देना चाहिए. उनके इस बयान पर AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने निशाना साधा है.
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भागवत के बयान के बाद ओवैसी ने सिलसिलेवार ट्वीट कर पलटवार किया है. उन्होंने कहा कि मुसलमानों को भारत में रहने या हमारे धर्म का पालन करने की “अनुमति” देने वाले मोहन कौन होते हैं? हम भारतीय हैं क्योंकि अल्लाह ने चाहा, उन्होंने हमारी नागरिकता पर “शर्तें” लगाने की हिम्मत कैसे की? हम यहां अपने विश्वास को “समायोजित” करने या नागपुर में कथित ब्रह्मचारियों के समूह को खुश करने के लिए नहीं हैं.
इसके अलावा एक अन्य ट्वीट में ओवैसी ने लिखा “मोहन कहते हैं कि भारत को कोई बाहरी खतरा नहीं है. संघी दशकों से “आंतरिक शत्रुओं” और “युद्ध की स्थिति” का रोना रो रहे हैं और लोक कल्याण मार्ग में उनके स्वयं के स्वयंसेवक कहते हैं, “ना कोई घुसा है …” चीन के लिए यह “चोरी” और साथी नागरिकों के लिए “सीनाज़ोरी” क्यों? यदि हम वास्तव में युद्ध में हैं, तो क्या स्वयंसेवक सरकार 8+ वर्षों से सो रही है?
ओवैसी ने आगे कहा कि आरएसएस की विचारधारा भारत के भविष्य के लिए खतरा है. भारतीय असली “आंतरिक शत्रुओं” को जितनी जल्दी पहचान लें, उतना ही अच्छा होगा. कोई भी सभ्य समाज धर्म के नाम पर इस तरह की नफरत और कट्टरता को बर्दाश्त नहीं कर सकता. मोहन को हिन्दुओं का प्रतिनिधि किसने चुना? 2024 में चुनाव लड़ रहे हैं? हम आपका स्वागत करते हैं.
ओवैसी ने भागवत के बयान पर पलटवार करते हुए आगे कहा कि ऐसे बहुत से हिंदू हैं जो आरएसएस के वर्चस्व की उद्दाम बयानबाजी को महसूस करते हैं, हर अल्पसंख्यक कैसा महसूस करता है, यह तो दूर की बात है. यदि आप अपने ही देश में विभाजन पैदा करने में व्यस्त हैं तो आप दुनिया के लिए वसुधैव कुटुम्बकम नहीं कह सकते. ओवैसी ने पीएम मोदी पर भी निशाना साधते हुए कहा कि पीएम दूसरे देशों के सभी मुस्लिम नेताओं को गले क्यों लगाते हैं लेकिन अपने देश में एक भी मुस्लिम को गले लगाते नहीं दिखते?
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