मोरबी में मच्छू नदी पर बना झूलता पुल गिरने से 141 लोगों की दर्दनाक मौत हो गई है. घटनास्थल पर अभी भी बचाव कार्य जारी है और कई लोगों को निकाला जा रहा है. पिछले कई महीनों से बंद पुल की मरम्मत की गई और पांच दिन पहले ही इसे फिर से शुरू किया गया था. इस त्रासदी को लेकर सबसे बड़ा सवाल यह है कि जब पुल की क्षमता मात्र 100 लोगों की थी तो आखिर इतनी बड़ी संख्या में लोग कैसे पहुंचे. अब इस हादसे को लेकर मोरबी नगर पालिका के मुख्य अधिकारी की ओर से बड़ा बयान सामने आया है.
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अधिकारी का दावा- बिना अनुमति के खुला पुल
मोरबी नगर पालिका के मुख्य अधिकारी संदीप सिंह झाला के मुताबिक पुल को बिना उनकी अनुमति के खोला गया. उनकी ओर से फिटनेस सर्टिफिकेट जारी नहीं किया गया था. मोरबी नगर पालिका के अधिकारी ने यह भी दावा किया कि पुल खोलने से पहले ओरेवा कंपनी द्वारा गुणवत्ता जांच नहीं की गई थी.
आपको बता दें कि ओरेवा वह कंपनी है जिसे ब्रिज के रेनोवेशन का काम सौंपा गया था. पिछले सात महीने से जो रेनोवेशन चल रहा था, उसका काम ओरेवा कंपनी ही कर रही थी. रेनेवेशन काम पूरा होने के बाद इसे 26 अक्टूबर को जनता के लिए फिर से खोल दिया गया था. महज पांच दिनों के बाद पुल के ढहने से सवाल उठता है कि क्या पुल की मरम्मत में ही भ्रष्टाचार हुआ था.
स्थानीय लोगों के मुताबिक पुल पर 400 से 500 लोग मौजूद थे. केबल ब्रिज इतना वजन सहन नहीं कर सका और बीच में ही टूट गया. कई लोग नदी में डूब गए, कुछ की मौके पर ही मौत हो गई और कुछ की अस्पताल में मौत हो गई. बचाव कार्य अभी भी जारी है, कई लोगों को निकाला जा रहा है. मरने वालों की संख्या में लगातार वृद्धि दर्ज की जा रही है.
मोरबी: भ्रष्टाचार का लटकता पुल! 100 की क्षमता वाले ब्रिज पर कैसे पहुंचे 500 लोग?
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