दिल्ली: महिला पहलवानों के यौन उत्पीड़न मामले में भाजपा सांसद और पूर्व कुश्ती संघ के मुखिया बृजभूषण शरण सिंह को बड़ी राहत मिली है. बृजभूषण को 25 हजार रुपये के निजी मुचलके पर जमानत दी गई है. यौन शोषण केस में कोर्ट ने बृजभूषण को सर्शत जमानत देते हुए कहा कि वह बिना बताए देश से बाहर नहीं जाएंगे और गवाहों को प्रभावित नहीं करेंगे.
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शर्तों के साथ मिली जमानत
दिल्ली की राऊज एवेन्यू कोर्ट ने पहलवानों की शिकायतों के आधार पर दर्ज यौन उत्पीड़न मामले में भारतीय कुश्ती महासंघ के पूर्व अध्यक्ष बृज भूषण शरण सिंह और महासंघ के सहायक सचिव विनोद तोमर सिंह को नियमित जमानत दी है. अदालत ने दोनों को 25-25 हजार रुपए के निजी जमानत मुचलके पर जमानत दी है. अदालत ने उन्हें जमानत देते हुए कई शर्तें लगाईं और कहा कि आरोपी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से शिकायतकर्ताओं या गवाहों को प्रेरित नहीं करेंगे और अदालत की अनुमति के बिना देश नहीं छोड़ेंगे.
सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस और वकीलों के बीच क्या बहस हुई?
महिला पहलवानों के यौन उत्पीड़न मामले में बृजभूषण शरण सिंह पर लगे आरोपों को लेकर आज दिल्ली की राऊत एवेन्यू कोर्ट में सुनवाई हुई. सुनवाई की शुरुआत दिल्ली पुलिस की दलीलों से हुई. अतिरिक्त लोक अभियोजक अतुल श्रीवास्तव ने तर्क दिया, “हम कानून का उल्लंघन नहीं कर सकते, लेकिन हम कहेंगे कि अगर अदालत आरोपी को जमानत देती है, तो उसे शर्तें भी लगानी चाहिए… आरोपी गवाहों को प्रभावित करने की क्षमता रखता है, इसलिए शर्तें लगाई जानी चाहिए.” पुलिस के बाद अभियोजक के वकील हर्ष वोहरा ने भी ऐसी ही दलील पेश की और कहा कि अगर अदालत जमानत देना चाहती है तो कम से कम कड़ी शर्तें लगानी चाहिए. आरोपियों की ओर से राजीव मोहन ने कोर्ट को आश्वासन दिया कि हम सभी शर्तों का पालन करने के लिए तैयार हैं.
2012 सड़क रोकने और पीछा करने का मामला
दिल्ली पुलिस द्वारा दायर की गई चार्जशीट के मुताबिक, बृजभूषण पर पीछा करने और रास्ता रोकने का मामला है. ये मामला 2012 का है. जिसमें शिकायतकर्ता महिला पहलवान ने कहा कि टूर्नामेंट के दौरान बृजभूषण ने उनकी मां से बातचीत की थी, फिर पहलवान को अपने कमरे में बुलाया और गले लगाया था. जब महिला पहलवान घर लौटी तो वह अलग-अलग बहाने से उसकी मां के नंबर पर फोन करने लगे. महिला पहलवान ने यह भी दावा किया कि बृजभूषण की कॉल से बचने के लिए उसे अपना फोन नंबर बदलना पड़ा. हालाकि, इन आरोपों को साबित करने के लिए कोई तकनीकी सबूत नहीं मिला है.
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