बिहार में भले ही 2016 से शराबबंदी लागू है लेकिन ऐसे कई मामले सामने आए हैं जिनमें जहरीली शराब पीने से कई लोगों की मौत हो गई है. इसे लेकर मुजफ्फरपुर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी कोर्ट में उनके खिलाफ शिकायत दाखिल की गई है. शिकायतकर्ता ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, आबकारी आयुक्त विनोद सिंह गुंजियाल और बिहार के हर जिले के आबकारी अधीक्षकों के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज करने की मांग की है.
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कोर्ट ने शिकायत स्वीकार कर ली
बिहार में जहरीली शराब पीने से 243 लोगों की मौत के मामले में गैर इरादतन हत्या की शिकायत दर्ज की गई है. शिकायत वकील सुशील कुमार ने दायर की है. वकील सुशील कुमार सिंह ने जहरीली शराब पीने से हुई मौतों के सरकारी आंकड़ों को आधार बनाया है. धारा 304 और 120बी के साथ-साथ 34 के तहत भी शिकायत दर्ज की गई है. कोर्ट ने इस शिकायत को स्वीकार कर लिया है और इस मामले की सुनवाई की अगली तारीख 16 सितंबर को दी है.
243 लोगों की मौत के लिए बिहार सरकार जिम्मेदार!
वकील सुशील कुमार ने बताया कि एक आरटीआई के जवाब में उन्हें यह जानकारी मिली कि शराबबंदी लागू होने के बाद अगस्त 2023 तक बिहार में जहरीली शराब से कुल 243 लोगों की मौत हो चुकी है. इन लोगों की मौत के लिए बिहार सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए शिकायत दर्ज कराई गई है. उन्होंने आगे कहा कि जब 2016 से पहले शराब की बिक्री पर कोई प्रतिबंध नहीं था, तो यह वही मुख्यमंत्री थे जिन्होंने हर गली-मोहल्ले में शराब की दुकानें खुलवाईं और कोटा तय किया था.
अचानक शराबबंदी कानून लागू कर दिया गया
वकील ने कहा कि बिहार में वर्ष 2016 में नशामुक्ति के लिए जागरूकता अभियान चलाए बिना ही अचानक शराबबंदी कानून लागू कर दिया गया. आज पूरे बिहार में देशी-विदेशी शराब, जिसमें जहरीली शराब भी शामिल है, बिना किसी रोक-टोक के बिकती है, जिससे कई लोगों की मौत हो चुकी है और हजारों लोग विकलांग हो गये हैं. सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के तहत प्राप्त जानकारी के अनुसार शराब की बिक्री अब भी जारी है.
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