इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कल ज्ञानवापी में एएसआई सर्वे की इजाजत दे दी थी, जिसके बाद एएसआई ने सर्वे फिर से शुरू कर दिया है. इसके चलते वाराणसी में हाई अलर्ट है और पुलिस की कड़ी व्यवस्था की गई है. उधर इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ एक बार फिर से मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. सुप्रीम कोर्ट आज ही इस मामले की सुनवाई करेगा.
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सुरक्षा के लिए आवश्यक तैयारियां पूरी कर लें
एएसआई की टीम वाराणसी के ज्ञानवापी स्थित सील वजुखाना को छोड़कर बाकी हिस्सों का सर्वेक्षण फिर से शुरू कर दी है. इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश के बाद जिला और पुलिस प्रशासन ने कल एएसआई के सहयोग और सुरक्षा के लिए आवश्यक तैयारियां पूरी कर ली थी. ज्ञानवापी में सर्वे को देखते हुए जिले का पुलिस और प्रशासनिक महकमा हाई अलर्ट पर है. सोशल मीडिया पर भी नजर रखी जा रही है. जिलाधिकारी एस राजलिंगम ने कहा कि कोर्ट के आदेश का अनुपालन कराया जायेगा. सर्वे में एएसआई टीम को हरसंभव सहयोग दिया जाएगा.
हिंदू पक्ष के वकील सर्वे की जगह पर मौजूद
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की टीम ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का सर्वेक्षण करने पहुंच गई है. इस मौके पर ज्ञानवापी मामले पर हिंदू पक्ष का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील सुभाष नंदन चतुर्वेदी ने कहा, “इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कल ASI को सर्वेक्षण करने की अनुमति दी. ASI और जिला प्रशासन ने पूरी तैयारी कर ली है. हम भी वहां जा रहे हैं. यह सर्वेक्षण इतिहास रचने की ओर एक कदम है.” वहीं हिंदू पक्ष के दूसरे वकील सुधीर त्रिपाठी ने कहा कि ASI ही बता सकता है कि सर्वे पूरा करने में कितने दिन लगेंगे. अयोध्या में राम मंदिर का सर्वे पूरा करने में 7-8 महीने लग गए.
इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका
ज्ञानवापी परिसर के सर्वेक्षण की अनुमति देने के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ मुस्लिम पक्ष द्वारा दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट आज सुनवाई करेगा. सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ इस पर सुनवाई करेगी. कल इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले के कुछ घंटों बाद, अंजुमन इंतजामिया मस्जिद के वकील निज़ाम पाशा ने मामले को सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ के सामने रखा था और सर्वेक्षण पर प्रतिबंध लगाने की मांग करते हुए तत्काल सुनवाई का अनुरोध किया था. हिंदू पक्ष ने भी सुप्रीम कोर्ट में कैविएट दाखिल कर अनुरोध किया है कि उनका पक्ष सुने बिना कोई आदेश न दिया जाए.
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