इजराइल और गाजा पट्टी पर शासन करने वाले संगठन हमास के बीच चल रहे युद्ध की वजह से दुनिया अलग-अलग हिस्सों में बंट गई है. हमास के हमलों पर जहां पश्चिम ने इजराइल का समर्थन किया है, वहीं पश्चिम एशिया के इस्लामिक देश फिलिस्तीन के समर्थन में एक साथ खड़े हो गए हैं. इस बीच जानकारी सामने आ रही है कि ईरान और सऊदी अरब भी इजराइल के हमले के खिलाफ एकजुट हो गए हैं. ऐसी खबरें हैं कि ईरान के राष्ट्रपति और सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के बीच इस मामले को लेकर टेलीफोन पर बातचीत हुई है.
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गाजा में रहने वाले नागरिकों की सुरक्षा पर जोर
ईरानी मीडिया रिपोर्टों के अनुसार राष्ट्रपति इब्राहिम रायसी और सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस ने फिलिस्तीन के खिलाफ युद्ध अपराधों को समाप्त करने की आवश्यकताओं पर चर्चा की, इस ऐतिहासिक फ़ोन कॉल को सऊदी मीडिया ने भी कवर किया है. इज़राइल-हमास युद्ध की शुरुआत के बाद से सऊदी अरब क्षेत्रीय नेताओं के संपर्क में है.
सऊदी अरब और ईरान सात साल की दुश्मनी के बाद चीन की मध्यस्थता में एक हो गए हैं. ईरान और सऊदी अरब की दुश्मनी ने खाड़ी देशों में अस्थिरता और असुरक्षा पैदा कर दी थी. इन दोनों देशों ने यमन से लेकर सीरिया तक खाड़ी देशों को युद्ध में उलझा रखा था. इस मामले में अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने भी कहा है कि हम सऊदी के संपर्क में हैं.
अब फिलिस्तीन को बचाने के लिए एकजुट हुए सऊदी-ईरान
अमेरिका गाजा में हमास, लेबनान में हिजबुल्लाह या ईरान से संबंध रखने वाले उनके सहयोगियों से पीछे हटने, बंधकों को रिहा करने और हिजबुल्लाह को युद्ध से दूर रखने और ईरान को लड़ाई से दूर रखने का आह्वान कर रहा है. अब सऊदी-ईरान की दोस्ती अमेरिका को भारी पड़ सकती है. अगर ये दोनों देश मिलकर फिलिस्तीन की मदद करेंगे तो ये युद्ध एक नया मोड़ ले लेगा. इससे मध्य पूर्व में एक और युद्ध हो सकता है.
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