भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र ने खराब मौसम और शुरुआती तकनीकी दिक्कतों पर काबू पाते हुए आज एक बार फिर अंतरिक्ष क्षेत्र में इतिहास रच दिया है. इसरो ने अपने मानवरहित गगनयान मिशन का परीक्षण सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है. व्हीकल एबॉर्ट मिशन-1 को सुबह 10 बजे श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया गया. वाहन ने 17 किमी की ऊंचाई से क्रू मॉड्यूल और क्रू एस्केप सिस्टम को छोड़ा. इसके बाद क्रू मॉड्यूल सिस्टम को पैराशूट के जरिए समुद्र में सफलतापूर्वक उतारा गया था.
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इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने मिशन की सफलता की घोषणा की और कहा कि क्रू मॉड्यूल और क्रू एस्केप सिस्टम का परीक्षण किया गया है. खराब मौसम की समस्या के बाद, लिफ्ट ऑफ प्रक्रिया के दौरान, कंप्यूटर ने इंजन में खराबी का संकेत दिया और इसरो टीम ने तुरंत इसे ठीक किया और हमने परीक्षण प्रक्षेपण सफलतापूर्वक पूरा किया है.
क्रू-एस्केप मिशन क्या है?
इसरो ने कहा कि यह क्रू-एस्केप सिस्टम उड़ान परीक्षण वाहन एबोर्ट मिशन 1 में किसी भी अप्रिय घटना के मामले में अंतरिक्ष यात्रियों को बचाने के लिए उपयोगी होगा. यदि टेक-ऑफ के दौरान कोई मिशन त्रुटि होती है, तो सिस्टम क्रू मॉड्यूल के साथ यान से अलग हो जाएगा. यह कुछ देर उड़ान भरेगा और श्रीहरिकोटा से 10 किमी दूर समुद्र में उतरेगा. इसमें मौजूद अंतरिक्ष यात्रियों को नौसेना द्वारा समुद्र से सुरक्षित वापस लाया जाएगा.
परीक्षण के आधार पर गगनयान कार्यक्रम शुरू होगा
एकल-चरण तरल प्रणोदक रॉकेट के इस प्रक्षेपण के साथ, इसरो ने मनुष्यों को अंतरिक्ष में भेजने के अपने महत्वाकांक्षी कार्यक्रम ‘गगनयान’ में एक कदम आगे बढ़ाया है. तीन दिवसीय गगनयान मिशन का लक्ष्य मनुष्यों को 400 किमी की निचली-पृथ्वी कक्षा में अंतरिक्ष में भेजना और फिर उन्हें सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर वापस लाना है. इसरो ने शुक्रवार को कहा कि इस परीक्षण उड़ान की सफलता बाकी परीक्षणों और मानवरहित मिशनों के लिए आधार तैयार करेगी, जिससे पहला गगनयान कार्यक्रम शुरू हो सकेगा.
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