दिल्ली: भारत के चंद्रयान-3 ने बुधवार को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफल लैंडिंग कर इतिहास रच दिया था. भारत दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला पहला देश बन गया है. चांद पर फतह हासिल करने के बाद अब इसरो की नजर सूरज पर है. इसरो का अगला मिशन, आदित्य एल-1 है जो सूर्य का अध्ययन करेगा.
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सूर्य का अध्ययन करने वाला यह पहला भारतीय मिशन होगा. मिशन अंतरिक्ष यान को पृथ्वी से लगभग 1.5 मिलियन किमी दूर लैग्रेंज प्वाइंट-1 (एल-1) के आसपास एक खोखली कक्षा में स्थापित किया जाएगा. L-1 बिंदु वह स्थान है जहां ग्रहण का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है और यहां से हम लगातार सूर्य को देख सकते हैं.
इससे वास्तविक समय में सौर गतिविधि और अंतरिक्ष मौसम पर इसके प्रभाव का अवलोकन करने का अतिरिक्त लाभ मिलेगा. अंतरिक्ष यान सूर्य के विभिन्न स्तरों का निरीक्षण करने के लिए सात पेलोड ले जाएगा. इस मिशन के जरिए सूर्य की गतिविधियों को समझना आसान हो जाएगा. मिशन आदित्य एल-1 सितंबर 2023 में लॉन्च होने की संभावना है.
चंद्रयान-3 की सफलता के बाद इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने अगले मिशन का ऐलान करते हुए कहा कि पीएम मोदी ने हम सभी को बधाई दी और कहा कि वे व्यक्तिगत रूप से आकर हममें से प्रत्येक को बधाई देना चाहेंगे. इसरो का अगला मिशन आदित्य एल-1 मिशन है जो श्रीहरिकोटा में तैयार हो रहा है.
भारत का अगला नियोजित चंद्र मिशन चंद्र ध्रुवीय अन्वेषण मिशन (LUPEX) होगा. यह जापान की JAXA और भारत की इसरो का संयुक्त मिशन होगा. इसमें यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी नासा के उपकरण भी होंगे. इसमें एक ऑर्बिटर, एक लैंडर और एक रोवर शामिल होगा. इसे 2024 के बाद लॉन्च करने की योजना है. जानकारी के मुताबिक आदित्य एल-1 मिशन की लागत करीब 378 करोड़ रुपये है.
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