दिल्ली: भारत की मेजबानी में आयोजित जी-20 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए दुनिया भर के शीर्ष नेता दिल्ली आए थे. अब राजधानी दिल्ली में पी-20 सम्मेलन आज दिल्ली के द्वारका स्थित नए कन्वेंशन सेंटर यशोभूमि में आयोजित किया गया. दो दिवसीय सम्मेलन की शुरुआत प्रधानमंत्री मोदी के संबोधन से शुरू हुआ. इजराइल-हमास युद्ध का नाम लिए बिना पीएम मोदी ने कहा कि आज दुनिया के अलग-अलग कोनों में क्या हो रहा है, इससे कोई अनजान नहीं है. आज विश्व संघर्ष के कारण संकट से जूझ रहा है. यह सभी के लिए हानिकारक है. यह समय शांति और भाईचारे का है.
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9वें जी20 संसदीय अध्यक्ष शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने आगे कहा कि यह समिट एक प्रकार से दुनिया भर की अलग-अलग संसदीय प्रथाओं का महाकुंभ है. आप सभी प्रतिनिधि अलग-अलग संसदीय कार्यशैली के अनुभवी हैं. आपका इतने समृद्ध लोकतांत्रिक अनुभवों के साथ भारत आना हम सभी के लिए बहुत सुखद है. अगले साल भारत में फिर एक बार आम चुनाव होने जा रहा है, मैं P20 शिखर सम्मेलन में आए आप सभी प्रतिनिधियों को अगले साल होने वाले आम चुनाव को देखने के लिए अग्रिम निमंत्रण देता हूं. भारत को आपकी फिर से मेज़बानी करने में बहुत खुशी होगी.
उन्होंने आगे कहा कि भारत में हम लोग आम चुनाव को सबसे बड़ा पर्व मानते हैं. 1947 में आज़ादी मिलने के बाद से अब तक भारत में 17 आम चुनाव और 300 से अधिक विधानसभा चुनाव हो चुके हैं. भारत दुनिया का सबसे बड़ा चुनाव ही नहीं कराता बल्कि इसमें लोगों की भागीदारी भी बढ़ रही है. देशवासियों ने मेरी पार्टी को लगातार दूसरी बार विजयी बनाया है. 2019 का आम चुनाव मनाव इतिहास की सबसे बड़ी मानव कसरत थी. इसमें 60 करोड़ वोटर ने हिस्सा लिया था. तब भारत में 91 करोड़ पंजीकृत मतदाता थे, जो पूरे यूरोप की कुल आबादी से अधिक है, यह दिखाता है कि भारत में लोगों का संसदीय प्रक्रियाओं में कितना भरोसा है.
समारोह को संबोधित करते हुए पीएम ने आगे कहा कि करीब 20 साल पहले आतंकवादियों ने हमारी संसद को निशाना बनाया था. उस समय संसद का सत्र चल रहा था और आतंकवादियों की मंशा सांसदों को बंधी और उनको खत्म करने की थी. दुनिया को भी एहसास हो रहा है कि आतंकवाद दुनिया के लिए कितनी बड़ी चुनौती है. आतंकवाद जहां भी होता, किसी भी कारण, किसी भी रूप में होता वह मानवता के विरुद्ध होता है. ऐसे में आतंकवाद को लेकर हम सभी को सख्ती बरतनी होगी. आतंकवाद की परिभाषा को लेकर आम सहमति ना बन पाना बहुत दुखद है. आज भी UN भी इसका इंतजार कर रहा है. दुनिया के इसी रवैया का फायदा मानवता के दुश्मन उठा रहे हैं. दुनिया भर के प्रतिनिधियों को सोचना होगा की आतंकवाद के खिलाफ हम कैसे काम कर सकते हैं.
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