अमेरिका की प्रथम महिला जिल बाइडेन ने पीएम मोदी के साथ अलेक्जेंड्रिया में नेशनल साइंस फाउंडेशन का दौरा किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि शिक्षा भारत-अमेरिका संबंधों की आधारशिला है. इसके अलावा उन्होंने कहा कि संयुक्त राज्य अमेरिका में प्रधानमंत्री मोदी आपका स्वागत है. इस आधिकारिक दौरे से हम दुनिया के सबसे पुराने और सबसे बड़े लोकतंत्र को साथ ला रहे हैं. लेकिन हमारे रिश्ते सिर्फ सरकारों के बीच नहीं है, हम परिवारों और दोनों देशों के बीच दोस्ती का जश्न मना रहे हैं. अमेरिका-भारत साझेदारी गहरी और विस्तृत है क्योंकि हम वैश्विक चुनौतियों से संयुक्त रूप से निपटते हैं. शिक्षा एक ऐसा मुद्दा है जो आपके (प्रधानमंत्री मोदी) और मेरे दिल के करीब है. PM मोदी यह सुनिश्चित करने के लिए काम करते हैं कि सभी भारतीय विशेष रूप से लड़कियों को शिक्षा जारी रखने का अवसर मिले ताकि वो आधुनिक कार्यबल के लिए पर्याप्त शिक्षा प्राप्त कर सके.
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अमेरिका की प्रथम महिला जिल बाइडेन ने समारोह को संबोधित करते हुए आगे कहा कि अगर हम चाहते हैं कि हमारी अर्थव्यवस्था मजबूत हो तो हमें उन युवाओं में निवेश करने की ज़रूरत है जो हमारा भविष्य हैं. हमें यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि उनके पास वे अवसर हों जिनके वे हकदार हैं. शिक्षा भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच बंधन की आधारशिला है. दोनों देशों के छात्र एक-दूसरे के साथ सीख रहे हैं और बढ़ रहे हैं. कंधे से कंधा मिलाकर काम करते हुए, हमारे राष्ट्र सभी के लिए एक सुरक्षित, स्वस्थ, अधिक समृद्ध भविष्य बना सकते हैं.
अमेरिका में वर्जीनिया के अलेक्जेंड्रिया में नेशनल साइंस फाउंडेशन में आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि मुझे बेहद खुशी है कि मुझे यहां आते ही इतने युवा और क्रिएटिव लोगों से जुड़ने का मौका मिला है. जिल बाइडेन ने इतना व्यस्त होने के बावजूद इस कार्यक्रम का आयोजन किया, मैं इसके लिए आभारी हूं. हमारी वर्तमान और आने वाली पीढ़ियों को एक बेहतर भविष्य सुनिश्चित करना हम सभी का दायित्व है, इस उज्जवल भविष्य के लिए शिक्षा, स्कीम, इनोवेशन आवश्यक है और भारत में हमने इस दिशा में कई प्रयास किए हैं.
इसके अलावा पीएम मोदी ने कहा कि दुनिया भर में फैले वैज्ञानिकों और उद्यमियों का भारत के संस्थानों के साथ संबंध बढ़ाने के लिए हमने 2015 में GIAN(ग्लोबल इनिशिएटिव ऑफ एकेडमिक नेटवर्क्स) अभियान शुरू किया था. मुझे बताते हुए खुशी है कि अब तक इसके तहत यूएस से 750 फैकल्टी मेंबर भारत आ चुके हैं. मैं यूएस में शिक्षा और रिसर्च से जुड़े सर्विंग और रिटायर लोगों से अनुरोध करूंगा कि वे अपनी छुट्टियां खास तौर पर विंटर ब्रेक भारत में बिताएं और भारत को जाने, इसके साथ ही भारत की नई पीढ़ी के साथ अपना ज्ञान भी बांटे.
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