दिल्ली: मोदी उपनाम मानहानि मामले में आज सुबह अप्रत्याशित मोड़ सामने आया है. आरोपी राहुल गांधी के लिए उम्मीद की एकमात्र किरण सुप्रीम कोर्ट में भी अभियोजक पूर्णेश मोदी पहुंच गए हैं. पूर्णेश मोदी ने सुप्रीम कोर्ट में कैविएट दायर कर कहा है कि कोर्ट राहुल गांधी की बात सुने उससे पहले मुझे भी अपनी बात रखने का मौका मिलना चाहिए. इतना ही नहीं उन्होंने कोर्ट से एकतरफा फैसला न सुनाने की भी अपील की है.
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2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान कर्नाटक में एक रैली के दौरान राहुल गांधी ने मोदी उपनाम पर टिप्पणी की थी. इस टिप्पणी के खिलाफ बीजेपी विधायक पूर्णेश मोदी ने शिकायत दर्ज कराई थी, जिसके चार साल बाद 23 मार्च 2023 को गुजरात के सूरत की अदालत ने राहुल गांधी को आपराधिक मानहानि का दोषी ठहराया था और दो साल जेल की सजा सुनाई थी. राहुल गांधी ने निचली कोर्ट के फैसले के खिलाफ गुजरात हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. लेकिन उनको वहां से भी राहत नहीं मिली है.
गुजरात हाई कोर्ट ने खारिज की थी याचिका
गौरतलब है कि गुजरात उच्च न्यायालय ने ‘मोदी उपनाम’ टिप्पणी के खिलाफ मानहानि मामले में राहुल गांधी की सजा पर रोक लगाने से इनकार करते हुए सत्र न्यायालय के आदेश को बरकरार रखा था, राहुल गांधी चुनाव नहीं लड़ पाएंगे या संसद सदस्य (सांसद) के रूप में अपनी स्थिति के निलंबन को रद्द करने की मांग नहीं कर पाएंगे. वह हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील कर सकते हैं. गुजरात हाई कोर्ट का कहना है कि ट्रायल कोर्ट का दोषी ठहराने का आदेश उचित है, उक्त आदेश में हस्तक्षेप करने की कोई जरूरत नहीं है, इसलिए आवेदन खारिज किया जाता है. कोर्ट ने आगे कहा कि राहुल गांधी के खिलाफ कम से कम 10 आपराधिक मामले लंबित हैं.
क्या है कैविएट याचिका?
पूर्णेश मोदी की ओर से दायर की गई याचिका एक तरह का बचाव है, याचिका यह सुनिश्चित करने के लिए दायर की जाती है कि बिना सुने उसके खिलाफ कोई प्रतिकूल आदेश पारित न किया जाए. अक्सर, मामले में प्रतिवादी को सूचित नहीं किया जाता है और अदालत उपलब्ध तथ्यों के आधार पर एकतरफा फैसला सुना देती है. इस स्थिति से बचने के लिए कानून में कैविएट याचिका का प्रावधान है. प्रतिवादी याचिका दाखिल कर दे इसका मतलब होता है कि बिना सुने उसके खिलाफ कोई आदेश पारित न किया जाएगा.
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