दिल्ली में अधिकारियों के ट्रांसफर-पोस्टिंग को लेकर केंद्र सरकार के अध्यादेश के खिलाफ दायर याचिका पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. केंद्र के सेवा अध्यादेश को चुनौती देने वाली दिल्ली सरकार की याचिका पर अब सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ सुनवाई करेगी. मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि इस पर लंबी सुनवाई जरूरी है कि क्या सेवाओं को दिल्ली विधानसभा के दायरे से बाहर लाया जा सकता है. इस पर सुनवाई होगी कि अध्यादेश को रद्द किया जाना उचित है या नहीं. एलजी की ओर से पेश वकील हरीश साल्वे ने कहा कि संसद में बिल पेश होने के बाद अध्यादेश के मुद्दे पर विचार करने की जरूरत नहीं होगी. इस पर सीजेआई ने कहा, हम तब तक इंतजार नहीं कर सकते हैं.
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क्या है पूरा मामला?
इस साल मई में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में प्रशासनिक सेवाओं के नियंत्रण और शक्तियों से जुड़े मामले में अपना फैसला सुनाया था. सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया था कि पुलिस, जमीन और सार्वजनिक व्यवस्था के अलावा अन्य सभी मुद्दों पर उपराज्यपाल को दिल्ली सरकार की सलाह माननी होगी. इसके बाद केंद्र सरकार ने अध्यादेश लाकर दिल्ली की सत्ता फिर से उपराज्यपाल को सौंप दी थी. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद केंद्र सरकार ने 19 मई को एक अध्यादेश जारी किया था, जिसे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली (संशोधन) अध्यादेश, 2023 नाम दिया गया था.
CJI की अहम टिप्पणी
11 मई को मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सेवाओं पर नियंत्रण सार्वजनिक व्यवस्था, पुलिस और भूमि से संबंधित प्रविष्टियों तक नहीं होगा. दिल्ली सरकार अन्य राज्यों की तरह प्रतिनिधि रूप का प्रतिनिधित्व करती है और संघ की शक्ति का कोई और विस्तार संवैधानिक योजना के विपरीत होगा. यदि प्रशासनिक सेवाओं को विधायी और कार्यकारी डोमेन से बाहर रखा जाता है, तो मंत्रियों को उन सिविल सेवकों को नियंत्रित करने से बाहर रखा जाएगा जिन्हें कार्यकारी निर्णयों को लागू करना है. राज्यों के पास भी शक्ति है लेकिन राज्य की कार्यकारी शक्ति संघ के मौजूदा कानून के अधीन है. यह सुनिश्चित करना होगा कि राज्यों का शासन संघ द्वारा अपने हाथ में न ले लिया जाए. दिल्ली सरकार बनाम LG मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा कि लोकतंत्र और संघवाद के सिद्धांत बुनियादी संरचना संघवाद का एक हिस्सा है, जो विविध हितों के अस्तित्व को सुनिश्चित करते हैं और विविध आवश्यकताओं को समायोजित करते हैं.
केंद्र मानसून सत्र में अध्यादेश पारित करेगी
संसद का मॉनसून सत्र शुरू हो गया है और केंद्र सरकार इस सत्र में अध्यादेश पारित कराने की कोशिश करेगी. वहीं दूसरी ओर दिल्ली सरकार इस अध्यादेश के खिलाफ विपक्षी दलों का समर्थन जुटाने में लगी हुई है. कांग्रेस, टीएमसी समेत कई विपक्षी दल ने इस मुद्दे पर दिल्ली सरकार का समर्थन देने का ऐलान किया है.
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