पीएम मोदी के अमेरिका दौरे के बाद दोनों देश दावा कर रहे हैं कि एक दूसरे के साथ रिश्ते मजबूत हो रहे हैं, लेकिन अमेरिकी संस्थाएं भारत के खिलाफ जहरीले बयान देने से बाज नहीं आ रही हैं.
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अमेरिका के अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग के अध्यक्ष रब्बी अब्राहम कूपर ने भारत के खिलाफ जगह उगलते हुए कहा है कि भारत में धार्मिक भेदभाव चिंताजनक स्तर पर पहुंच गया है. इस तरह का भेदभाव राष्ट्रीय गौरव का विषय नहीं होना चाहिए. अगर भारत में हालात नहीं सुधरे तो भारत को अमेरिकी प्रतिबंधों का सामना करने के लिए तैयार रहना होगा.
रब्बी कूपर ने अमेरिकी सांसदों को संबोधित करते हुए कहा कि भारत को अपने तरीके बदलने होंगे. क्योंकि हालात बदतर होते जा रहे हैं. अमेरिकी सरकार को भारत को सीरिया, नाइजीरिया, वियतनाम जैसे विशेष चिंता वाले देशों की सूची में डालना चाहिए. इन सभी देशों में धार्मिक स्वतंत्रता की स्थिति अच्छी नहीं है.
अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग ने तो धार्मिक भेदभाव करने वाली एजेंसियों और उसके अधिकारियों पर संयुक्त राज्य अमेरिका में आने पर प्रतिबंध लगाने और आर्थिक प्रतिबंध लगाने की मांग की है. कूपर ने कहा कि पीएम मोदी का अमेरिका दौरा खत्म हो गया है और हमें उम्मीद है कि अमेरिकी सरकार भारत की गंभीर स्थिति की समीक्षा करेगी.
इससे पहले भी अमेरिका यात्रा के दौरान पीएम मोदी से भारत में धार्मिक भेदभाव को लेकर सवाल पूछा गया था और उस वक्त पीएम मोदी ने कहा था कि भारत संविधान के मुताबिक चलता है और यहां किसी भी तरह के भेदभाव के लिए कोई जगह नहीं है.
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