उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बड़ा ऐलान किया है. सीएम धामी ने ट्वीट कर कहा कि देवभूमि उत्तराखंड में जल्द ही समान नागरिक संहिता (यूसीसी) कानून लागू किया जाएगा. धामी सरकार ने यूसीसी का मसौदा तैयार कर लिया है. सरकार ने समान नागरिक संहिता का मसौदा तैयार करने के लिए मार्च 2022 में एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया था. इस समिति ने आम जनता से प्रतिक्रियाएं और सुझाव मांगे गए थे. समिति को करीब 2 लाख 31 हजार सुझाव अभी तक मिले हैं.
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इस बीच उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने एक छोटा सा ट्वीट कर लिखा “देवभूमि उत्तराखंड में जल्द लागू करेंगे समान नागरिक संहिता (UCC) कानून.” इसके अलावा उन्होंने कहा कि सबसे बात करने के बाद ड्राफ्ट की तैयारी लगभग पूरी हो गई है. हमें जैसे ही ड्राफ्ट मिलेगा हम इसे लागू करने की दिशा में आगे बढ़ेंगे. हमारी अपेक्षा है कि हिन्दुस्तान के सभी राज्य इसको लागू करें.
उत्तराखंड में यूसीसी का ब्लूप्रिंट तैयार
उत्तराखंड ने समान नागरिक संहिता का खाका तैयार किया है, जिसके मुताबिक लड़कियों की शादी की उम्र बढ़ाई जाएगी ताकि वे शादी से पहले स्नातक कर सकें. इसके अलावा मसौदे में पति और पत्नी दोनों के पास तलाक के लिए समान आधार होंगे, तलाक के लिए जो आधार पति पर लागू होंगे वही पत्नी पर भी लागू होंगे. फिलहाल पर्सनल लॉ के तहत पति-पत्नी के बीच तलाक के अलग-अलग आधार हैं. भरण-पोषण के साथ-साथ इस बात का भी ध्यान रखा गया है कि यदि पत्नी की मृत्यु हो जाती है और उसके माता-पिता का कोई सहारा नहीं है तो उसके भरण-पोषण की जिम्मेदारी पति की होगी.
सुप्रीम कोर्ट ने गठित पैनल के खिलाफ दायर याचिका को किया खारिज
कोर्ट के इस फैसले से उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू होने से पहले गठित पैनल के काम का रास्ता साफ हो गया है. राज्य सरकार का कहना है कि शादी, तलाक, गोद लेने के अधिकार और बंटवारे से जुड़े मामलों में सबके लिए एक समान कानून होना चाहिए. इसे कैसे लागू किया जा सकता है और यह कितना जरूरी है, इसकी जांच के लिए एक पैनल का गठन किया गया है, जिसके खिलाफ चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की बेंच ने सोमवार को कहा कि याचिका मेरिट पर टिकती नहीं है. प्रधान न्यायाधीश ने कहा, संविधान के अनुच्छेद 162 के तहत राज्य सरकारों को अपने स्तर पर कानून बनाने का अधिकार है.
लिव-इन रिलेशनशिप का डिक्लेरेशन देना होगा
इसके अलावा लिव इन रिलेशनशिप का डिक्लेरेशन जरूरी होगा, यह सेल्फ डिक्लेरेशन की तरह होगा जिसका वैधानिक प्रारूप होगा. वहीं, इस मसौदे में नौकरीपेशा पुत्र की मृत्यु पर पुत्र को मिलने वाले मुआवजे में वृद्ध माता-पिता के भरण-पोषण दायित्व का भी उल्लेख है. अगर पत्नी दोबारा शादी करती है तो पति की मौत पर मिलने वाले मुआवजे में माता-पिता का भी हिस्सा होगा.
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