विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोरोना के ओमीक्रॉन वैरिएंट से निकले एरिस की जांच शुरू कर दी है. फिलहाल WHO ने इसे वेरिएंट ऑफ इंटरेस्ट की कैटेगरी में शामिल किया है. मिली जानकारी के मुताबिक, पिछले अप्रैल से अब तक भारत समेत दुनिया के कई देशों में कोरोना के नए वेरिएंट की पहचान हुई है, जिसे EG.5 के नाम से जाना जाता है.
Advertisement
Advertisement
जिनेवा में हुई बैठक
मंगलवार को जिनेवा में आयोजित बैठक में विश्व स्वास्थ्य संगठन के अधिकारियों ने कहा कि अब तक एरिस स्ट्रेन का कोई और सबूत सामने नहीं आया है. इसलिए इसे फिलहाल गंभीर स्ट्रेन नहीं माना जा सकता. लेकिन समय के साथ, जैसे-जैसे साक्ष्य हमारे पास आएंगे, हम सदस्य राज्यों को सूचित करना जारी रखेंगे.
2019 में कोरोना ने मचाया था हाहाकार
दरअसल, 2019 में कोरोना महामारी की शुरुआत में WHO ने कोरोना वायरस के वेरिएंट को तीन श्रेणियों में वर्गीकृत किया था. इनमें वैरिएंट ऑफ इंट्रेस्ट, वैरिएंट ऑफ कंसर्न और वैरिएंट ऑफ हाई कोंजिक्वंस वाले प्रकार शामिल हैं. WHO के अनुसार, दुनिया में अब तक EG.5 और इसके उप-वंश के बहुत कम मामले सामने आए हैं. हालांकि, यूके और यूएस में बड़ी संख्या में लोग इससे संक्रमित हो चुके हैं. भारत में पिछले मई में एक मामला दर्ज किया गया था, इलाज के बाद मरीज दो दिन के अंदर ठीक भी हो गया था.
सावधान रहने की जरूरत
ईजी 5.1 नाम के एरिस वैरिएंट को शोधकर्ताओं ने ईजी 5.1 नाम दिया है. इसकी पहचान पहली बार जुलाई में हुई थी. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने ब्रिटेन सहित सभी देशों को सतर्क रहने और कोविड से संबंधित उचित प्रथाओं का पालन करने की सलाह दी है. शोधकर्ताओं का कहना है कि वायरस में चल रहे उत्परिवर्तन गंभीर या संक्रामक वेरिएंट का लगातार खतरा पैदा करते हैं. हमें इस दिशा में काफी सावधान रहने की जरूरत है.
यूएस नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ (NIH) के अनुसार, EG.5 ओमिक्रॉन सब वैरिएंट XBB.1.9.2 का वंशज है. इस स्ट्रेन वाले वायरस में स्पाइक प्रोटीन में एक अतिरिक्त उत्परिवर्तन होता है जो उन्हें मानव कोशिकाओं को अधिक तेज़ी से संक्रमित करने की क्षमता देता है.
चुनाव आयुक्त की नियुक्ति में CJI का रोल खत्म करने वाला बिल राज्यसभा में पेश, तेज हुई सियासत
Advertisement