दिल्ली: दुनिया की निगाहें रूस के लूना-25 और भारत के चंद्रयान-3 के बीच होड़ पर थीं. लेकिन इसी बीच खबर आई कि लूना-25 चांद पर उतरने में असफल हो गया है. हालांकि, पिछले चार साल का रिकॉर्ड देखें तो करीब चार देश ऐसे हैं जिन्हें चांद पर उतरने में नाकामी का सामना करना पड़ा है. खास बात ये है कि इनमें से भारत ही एक ऐसा देश है जिसने चंद्रयान-2 की असफलता के बाद चांद पर लौटने की हिम्मत जुटाई है. इसीलिए अब पूरी दुनिया की नजर भारत के चंद्रयान-3 पर टिकी हुई है और लैडिंग की उल्टी गिनती शुरू हो गई है.
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अब तक यह देश कर चुके हैं कोशिश
भारत (चंद्रयान-2), इज़राइल (बेरेशीट), जापान (हाकुतो-आर) और रूस (लूना-25) उन चार देशों में शामिल हैं, जहां निजी अंतरिक्ष एजेंसियों या सरकारों ने चंद्रमा तक पहुंचने का प्रयास किया है. लेकिन इन सभी को मिशन में विफलता का सामना करना पड़ा है. दिलचस्प बात यह है कि हर बार अंतिम लैंडिंग प्रक्रिया के दौरान यान विफल हो गए और चंद्रमा की सतह पर दुर्घटनाग्रस्त हो गए.
क्यों खास है भारत के लिए?
साल 2019 में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी इसरो के तत्कालीन अध्यक्ष के सिवन ने लैंडिंग प्रक्रिया को ’15 मिनट का आतंक’ कहा था. अब खास बात यह है कि चांद पर उतरने की कोशिश करने वाले देशों में से भारत एकमात्र ऐसा देश है जो दूसरी बार प्रयास कर रहा है. 2019 में चंद्रयान-2 की निष्फलता से सीख लेते हुए चंद्रयान-3 में कई सुरक्षा उपाय किए गए हैं.
चीन पहले ही प्रयास में सफल हो गया था
कहा जाता है कि चंद्रमा पर उतरने के सबसे सफल प्रयास 1966 और 1976 के दशकों में हुए थे. लेकिन चीन हाल के दिनों में चांद पर उतरने में काफी सफल रहा है. एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, 2013 में ड्रैगन अंतरिक्ष यान चांगी-3 पहली बार में ही चंद्रमा की सतह पर सफलतापूर्वक उतरने में कामयाब हुआ था. उसके बाद चीन के हाथ एक और कामयाबी लगी और साल 2019 में चांग-ई 4 भी चंद्रमा पर उतरने में कामयाब रहा था.
चंद्रयान-3 के उतरने का इंतजार
चंद्रयान-3 को 14 जुलाई को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से चंद्रमा पर भेजा गया था. अब संभावना है कि विभिन्न चरणों की सफलता के बाद चंद्रयान-3 23 अगस्त को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग कर सकता है.
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