नई दिल्ली: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने देश का बजट सदन में पेश कर दिया है. जहां भाजपा के नेता इस बजट को क्रांतिकारी बता रहे हैं, वहीं विपक्ष ने इसे निराशाजनक करार दिया है. कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने बजट को लेकर कहा कि यह बजट देश की वास्तविक भावना को संबोधित नहीं कर रहा है जो कि महंगाई और बेरोजगारी है. इसमें केवल फैंसी घोषणाएं थीं जो पहले भी की गई थीं लेकिन कार्यान्वयन के बारे में क्या? पीएम किसान योजना से सिर्फ बीमा कंपनियों को फायदा हुआ किसानों को नहीं.
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कांग्रेस सांसद शशि थरूर के मुताबिक बजट में कुछ चीजें अच्छी थी मैं इसे पूरी तरह नकारात्मक नहीं कहूंगा, लेकिन अभी भी कई सवाल उठते हैं. बजट में मनरेगा का कोई जिक्र नहीं था. सरकार मजदूरों के लिए क्या करने जा रही है? बेरोजगारी, महंगाई की बात भी नहीं की गई.
वहीं कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम ने कहा कि बजट का एक बड़ा हिस्सा राष्ट्रपति के अभिभाषण और आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट की पुनरावृत्ति है…टैक्स में किसी भी तरह की कटौती का स्वागत है. लोगों के हाथ में पैसा देना अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने का सबसे अच्छा तरीका है.
आरजेडी सांसद मनोज झा के मुताबिक मैंने वित्त मंत्री को कई बार कहा है कि जब भी बजट बनाए तो अनुच्छेद 39 को देख लें. संविधान से आंखें मूंद कर स्तुति गान वाला बजट बनाते हैं तो कुछ हासिल नहीं होगा. रोजगार के लिए आपने गोल-गोल बातें की, ये बजट खास लोगों का खास लोगों द्वारा खास तरह से बनाया बजट है.
सपा सांसद डिंपल यादव ने कहा कि ये चुनावी बजट है, किसानों के लिए कुछ नहीं है. किसानों की एमएसपी की बात नहीं की है. रेलवे को पूरी तरह नज़रअंदाज़ किया गया है. आधी से ज्यादा आबादी गांव में बसती है लेकिन उनके लिए कुछ नहीं किया है. ये बहुत ही निराशाजनक बजट है.
बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने बजट को लेकर मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि ये बजट निल बट्टा सन्नाटा है, बिहार के लिए कुछ नहीं है. केंद्र में बिहार के जितने सांसद हैं उन्हें शर्म से डूब जाना चाहिए. किसानों के लिए, रेलवे के लिए कुछ नहीं है. UPA की सरकार में बिहार को जितना दिया जाता था क्या इस सरकार ने दिया?, BJP धर्म की राजनीति से ध्यान भटका कर संविधान खत्म कर रही है. नाम बदलने के अलावा इन्होंने कुछ किया? इससे किसे रोजी-रोटी मिली? बिहार के लोगों को ठगने की कोशिश की गई है. मध्यम वर्ग महंगाई से परेशान है. टैक्स में छूट आंखों में धूल झोंकने के बराबर है.
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