दिल्ली: मानसून सत्र के दौरान विपक्ष लगातार मणिपुर में जारी हिंसा पर चर्चा की मांग कर रहा है. इस बीच आज राज्यसभा में कार्यवाही के दौरान आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने चर्चा की मांग को लेकर नारेबाजी शुरू कर दी. जिसके बाद उन्हे पूरे सत्र के लिए निलंबित कर दिया गया. अब इस मामले को लेकर सियासत तेज हो गई है.
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राज्यसभा से पूरे सत्र के लिए निलंबित किए जाने के बाद आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि देश के प्रधानमंत्री सदन में आकर मणिपुर की हिंसा पर जवाब क्यों नहीं दे रहे हैं. एक कारगिल के योद्धा की पत्नी को नंगाकर परेड कराया गया, भारत के 140 करोड़ लोगों का सर शर्म से झुक गया है. लेकिन प्रधानमंत्री सदन में आकर जवाब देने के लिए तैयार नहीं है.
वहीं इस मामले को लेकर कांग्रेस सांसद दिग्विजय सिंह ने कहा कि जब यह प्रधानमंत्री बनकर आए थे उन्होंने नौटंकी की थी, उन्होंने इस लोकतंत्र की मंदिर पर संविधान को धोखा दिया था. पिछले 9 सालों उन्होंने लोकतांत्रिक और संसदीय परंपराओं को तिलांजली दी है. मणिपुर 2.5 महिने से जल रहा है, प्रधानमंत्री को सदन में बोलना चाहिए. सदन से बाहर उन्होंने इसका राजनीतिकरण किया. मणिपुर के जैसे हालात किस राज्य में हैं जो उन्होंने राजस्थान और छत्तीसगढ़ से जोड़ा? अगर उन्होने (संजय सिंह) वेल में आकर कुछ कह दिया तो उन्होंने ऐसा कौन सा अपराध कर दिया कि उनको पूरे सत्र के लिए निलंबित कर दिया? हम इसकी निंदा करते हैं.
सांसद संजय सिंह के निलंबन पर कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि ये पहली बार नहीं है कि कोई विरोध जता रहा है. सभी लोग संसद में विरोध करते हैं. लोकतंत्र में बोलने की आजादी है, बोलने के लिए जो संसद आता है उसे मौका मिलना चाहिए. आज सरकार की मंशा है कि किसी ना किसी तरीके से आवाज को बंद किया जाए. पिछली बार भी उन्होंने ऐसा ही किया था.
शिवसेना उद्धव ठाकरे गुट के नेता संजय राउत ने इस मामले को लेकर कहा कि हम चाहते हैं कि संजय सिंह का निलंबन वापस लिया जाए. निलंबन क्यों किया गया? हम बार-बार सभापति का ध्यान मणिपुर की ओर आकर्षित कर रहे थे लेकिन वे सुनने को तैयार नहीं थे इसलिए हमारे पास उनके सामने जाकर बोलने के अलावा और कोई रास्ता नहीं था. प्रधानमंत्री को चर्चा के लिए आने में क्या दिक्कत है? वे आते हैं तो उनका बड़प्पन और बढ़ जाएगा.
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