दिल्ली: संसद का मानसून सत्र 20 जुलाई से शुरू हो रहा है. उससे एक दिन पहले यानी आज मोदी सरकार ने सर्वदलीय बैठक बुलाई है. बैठक में सत्र से जुड़े कई मुद्दों पर चर्चा होगी और इसे सुचारू रूप से चलाने के लिए सभी दलों से चर्चा की जाएगी.
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यह एक परंपरा रही है
सत्र शुरू होने से पहले सर्वदलीय बैठक की परंपरा रही है, जिसमें सरकार के वरिष्ठ मंत्री हिस्सा लेते हैं और विभिन्न दल बैठक में अपने मुद्दे रखते हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी ऐसी बैठकों में हिस्सा ले चुके हैं. ऐसी ही एक बैठक मंगलवार को राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने बुलाई थी, लेकिन पार्टी के कई नेताओं की अनुपस्थिति के कारण इसे स्थगित करना पड़ा था. 18 जुलाई को विपक्षी दलों के नेता बेंगलुरु में विपक्षी एकता की महाबैठक में शामिल थे, जबकि उसी दिन दिल्ली में भाजपा के नेतृत्व में एनडीए की बैठक भी चल रही थी.
संसद सत्र हंगामेदार हो सकता है
मानसून सत्र के हंगामेदार रहने के आसार हैं. इस साल के अंत में कई राज्यों में विधानसभा चुनाव और अगले साल लोकसभा चुनाव को लेकर बीजेपी और अन्य पार्टियां एक-दूसरे पर हमलावर हैं. केंद्र सरकार दिल्ली सरकार के अधिकारों पर बिल लाएगी, जिस पर काफी हंगामा होने की आशंका है. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने देशभर की विभिन्न पार्टियों से इस बिल का विरोध करने की अपील की है. बिल के विरोध के मुद्दे पर कांग्रेस ने भी केजरीवाल का समर्थन किया है. इसके साथ ही कांग्रेस और अन्य दल मणिपुर के मुद्दे पर मोदी सरकार को घेरने की तैयारी में हैं. साथ ही केंद्रीय जांच एजेंसियों के दुरुपयोग और महंगाई संसद के मानसून सत्र में हंगामे का कारण बन सकता है.
गौरतलब है कि संसद का मानसून सत्र 20 जुलाई से शुरू होगा और 11 अगस्त तक चलेगा. 23 दिनों के इस सत्र में कुल 17 बैठकें होंगी. माना जा रहा है कि मोदी सरकार इस सत्र में समान नागरिक संहिता विधेयक पेश कर सकती है. इसके अलावा केंद्र की मोदी सरकार संसद के पटल पर बहस के लिए राष्ट्रीय वित्तीय सूचना रजिस्ट्री, डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक, दिवाला और दिवालियापन संहिता संशोधन विधेयक को रख सकती है.
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