पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनाव के लिए शनिवार को हुए मतदान के दौरान राज्य के अलग-अलग हिस्सों में बड़े पैमाने पर हुए हिंसा में 21 लोगों की मौत की खबर है. शनिवार को हुई हिंसा ने वर्ष 2018 के पंचायत चुनाव में हुई 10 मौत के आंकड़े को भी पीछे छोड़ दिया है. अब इस मामले को लेकर सियासत तेज हो गई है. भाजपा ने इस पूरे मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग की है, वहीं कांग्रेस ने मृतकों को मुआवजा देने की मांग वाली याचिका हाईकोर्ट में दाखिल की है. इन सबके बीचे टीएमसी ने भी इन आरोपों पर पलटवार किया है.
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भाजपा ने 6 हजार बूथों पर दोबारा मतदान की मांग
भारी हिंसा के लिए बीजेपी और कांग्रेस ने सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस पर सीधा आरोप लगाया है. पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी ने कोलकाता में मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि पंचायत चुनाव के दौरान हिंसा में 21 लोग मारे गए इसकी CBI जांच होनी चाहिए. हमने 6,000 बूथों पर दोबारा मतदान कराने को लेकर राज्य चुनाव आयोग को पत्र लिखा है. मृतकों के परिवार और घायलों को सहायता राशि प्रदान करनी भी मांग है.
कांग्रेस ने हाईकोर्ट में दायर की PIL
पंचायत चुनाव हिंसा के दौरान घायल हुए पीड़ितों और मृतकों के लिए कलकत्ता हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर करने के बाद कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि हमारी तीन मांगे हैं पहला पीड़ितों को मुआवज़ा राशि दी जाए, दूसरा घायलों का पूरा इलाज कराया जाए और तीसरा इलाज के साथ-साथ वित्तीय सहायता दी जाए. हमने यह भी मुद्दा उठाया कि पंचायत चुनाव के दौरान हिंसा होने की पूरी संभावना थी तो पहले से राज्य सरकार की ओर से तैयारी क्यों नहीं की गई. साथ ही हिंसा क्यों हुई? इतने लोग मारे गए, इसकी सख्त रूप से जांच होनी चाहिए.
सबसे ज्यादा टीएमसी कार्यकर्ताओं की मौत का मंत्री ने किया दावा
भाजपा और कांग्रेस के आरोपों पर पलटवार करते हुए पश्चिम बंगाल सरकार में मंत्री मानस रंजन भुनिया ने कहा कि हमारी सरकार और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पंचायत चुनाव को बहुत ही कठिन परिस्थिति में शांतिपूर्ण तरीके से कराने का फैसला लिया. राज्य चुनाव आयोग ने प्रतिबद्धता के साथ पंचायत चुनाव कराना जारी रखा लेकिन दुर्भाग्य से गैर-ज़िम्मेदार राजनीतिक दलों ने पश्चिम बंगाल के विभिन्न जिलों में गंभीर कानून-व्यवस्था की स्थिति पैदा कर दी, जिसके परिणामस्वरूप चुनाव के दिन और उसके अगले दिन कुछ लोगों की मृत्यु हुई. अगर जांच की जाए तो सबसे ज़्यादा तृणमूल के समर्थक और कार्यकर्ताओं की इसमें मृत्यु होने के आंकड़े सामने आएंगे.
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