दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार संशोधन विधेयक कल लोकसभा में पारित हो गया, जिससे राजधानी दिल्ली में अधिकारियों की नियुक्ति और स्थानांतरण के मामले में उपराज्यपाल का निर्णय अंतिम माना जाएगा. दिल्ली बिल पर साढ़े चार घंटे तक चली बहस का जवाब देते हुए गृह मंत्री ने विपक्ष के रवैये पर सवाल उठाया था. लोकसभा में पास होने के बाद इसे चर्चा के लिए राज्यसभा में रखा जाएगा.
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दिल्ली सेवा विधेयक राज्यसभा में पेश किया जाएगा
केंद्र सरकार आज राज्यसभा में दिल्ली सेवा विधेयक पेश कर सकती है. बीजेडी, टीडीपी, वाईएसआरसीपी के समर्थन और बीएसपी के दूर रहने के फैसले से उच्च सदन में भी बिल के पारित होने का रास्ता साफ हो गया है. लोकसभा ने कल राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में अधिकारियों की नियुक्ति और स्थानांतरण में उपराज्यपाल के निर्णय को अंतिम बनाने वाले विधेयक को मंजूरी दे दी है.
विपक्ष नियम 167 के तहत बहस के लिए राजी हुआ
संसद के उच्च सदन राज्यसभा में पिछले 11 दिनों से चल रहा गतिरोध खत्म होता दिख रहा है. विपक्ष ने सदन में विवाद खत्म करने के लिए नया प्रस्ताव दिया है. जिसमें कांग्रेस समेत संयुक्त विपक्ष ने नियम 267 के तहत चर्चा पर जोर देते हुए नियम 167 के तहत चर्चा करने पर सहमति जताई है. नियम 167 में बहस के बाद वोटिंग का प्रावधान है, लेकिन विपक्ष बहस के बाद भी प्रधानमंत्री के बयान पर कायम है. विपक्ष की ओर से कल कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, सदन के नेता पीयूष गोयल और संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी के साथ हुई बैठक में समाधान का प्रस्ताव रखा गया था.
राज्यसभा में होगी अग्निपरीक्षा
दिल्ली सेवा विधेयक लोकसभा में पारित हो चुका है लेकिन सरकार की असली चुनौती राज्यसभा में शुरू होने वाली है, क्योंकि वहां उसके पास बहुमत नहीं है. ऐसे में यह देखना अहम होगा कि पर्याप्त संख्या कैसे जुटाई जाती है. दूसरी ओर, यह नए गठबंधन इंडिया की एकता के लिहाज से भी एक बड़ी परीक्षा साबित हो सकती है.
क्या है नंबर गेम, कौन आगे, कौन पीछे?
राज्यसभा में फिलहाल 238 सांसद हैं, ऐसे में बसपा पहले ही चुनाव का बहिष्कार करने की बात कह चुकी है, अब जब संसद में कुल संख्या 237 हो गई है तो बहुमत के लिए 119 सांसदों की जरूरत है. बीजेपी के पास बहुमत का आंकड़ा नहीं है और अगर उसके सहयोगियों को भी शामिल कर लिया जाए तो भी आंकड़ा नहीं जुड़ता. लेकिन बीजेपी ने अपने लिए बीजेडी और वाईएसआर कांग्रेस दोनों का समर्थन जुटा लिया है. इसके अलावा टीडीपी भी केंद्र को समर्थन देने जा रही है. इससे आंकड़ों का खेल पूरी तरह बदल गया है. इससे एनडीए का आंकड़ा बहुमत से काफी आगे 129 तक पहुंच सकता है. एनडीए के पास वर्तमान में दो स्वतंत्र सांसदों के समर्थन से 103 सदस्य हैं. इसके अलावा बीजेडी और वाईएसआर कांग्रेस के 9-9 सांसद भी साथ आने वाले हैं. ऐसे में आंकड़ा बिना किसी चुनौती के बहुमत तक पहुंच रहा है. इसके अलावा एनडीए को चुनौती दे रहे गठबंधन इंडिया के पास तमाम जद्दोजहद के बाद भी 109 सांसद बचे हैं.
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