दिल्ली: अगले महीने राजधानी दिल्ली में G20 देशों की अहम बैठक होने जा रही है. यह बैठक भारत में पहली बार हो रही है. इस बीच विदेश मंत्री जयशंकर ने बताया कि यह बैठक भारत के लिए क्यों काफी अहमियत रखती है. दिल्ली विश्वविद्यालय में एक समारोह को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि हमसे पहले कई देश जी20 की अध्यक्षता कर चुके हैं, लेकिन यह हमारे लिए खास है क्योंकि हमें यह अध्यक्षता ऐसे समय मिली है जब दुनिया में हमारा प्रभाव तेजी से बढ़ रहा है.
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इसके अलावा उन्होंने कहा कि यह दुनिया के लिए आंशिक रूप से हमारी आर्थिक उपलब्धियों के कारण अधिक मायने रखता है क्योंकि अब हम पांचवें नंबर की अर्थव्यवस्था बन गए हैं. चंद्रयान भी इसका एक उदाहरण है. आज हमें वैश्विक कार्यस्थल, वैश्विक प्रतिभा पूल के लिए आवश्यक माना जाता है. यह मायने रखता है क्योंकि हमने भी आज एक क्षमता का प्रदर्शन किया है. हमने अन्य देशों की मदद करने की क्षमता प्रदर्शित की है, इसलिए G20 की भारत की अध्यक्षता से अपेक्षाएं और ज़िम्मेदारियां बहुत असाधारण हैं.
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने समारोह को संबोधित करते हुए आगे कहा कि हमने इंटरनेशनल सोलर अलायंस के माध्यम से सौर ऊर्जा को लेकर दुनिया की सोच बदल दी है. आज हम इंटरनेशनल ईयर ऑफ मिलेट्स के माध्यम से दुनिया की खान-पान की आदतों को बदलने का प्रयास कर रहे हैं. हमने आपदा प्रतिक्रिया के गठबंधन के माध्यम से आपदाओं का जवाब देने का एक सामूहिक तरीका बनाया है. यह एक जगह है, एक देश है, जिसे आज ज़िम्मेदार के रूप में देखा जाता है, जिसे नवोन्वेषी के रूप में देखा जाता है, जिसे वास्तव में वैश्विक प्रगति को आगे बढ़ाने वाले के रूप में देखा जाता है… इसलिए मुझे पूरा विश्वास है कि जब एक दिन आप सभी पीछे मुड़कर देखेंगे तो आप ऐसा करेंगे. सभी लोग 2023 को भारत के लिए एक बड़े वर्ष के रूप में याद करेंगे. एक ऐसे वर्ष के रूप में जब हमारी G20 की अध्यक्षता ने हमें दुनिया के मानचित्र पर एक अलग स्थान पर खड़ा किया.
चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग को लेकर जब विदेश मंत्री से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि हम शारीरिक रूप से तो BRICS शिखर सम्मेलन में मौजूद थे, लेकिन मानसिक रूप से हम बेंगलुरु में थे क्योंकि पूरे समय प्रधानमंत्री के मन में, हमारे मन में चंद्रयान का विचार चल रहा था. उस शाम बातचीत का केवल एक ही विषय था और वह विषय था चंद्रयान की सफल लैंडिंग. उस दिन मेरे लिए सबसे बड़ी संतुष्टि और सभी नेताओं की यह भावना थी कि भारत ने यह कर दिखाया.
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