दिल्ली: कांग्रेस ने गोरखपुर के गीता प्रेस को 2021 का गांधी शांति पुरस्कार देने के केंद्र की मोदी सरकार के फैसले पर सवाल उठाया था. कांग्रेस ने केंद्र सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि सावरकर और गोडसे को पुरस्कार देने जैसा है. अब कांग्रेस के इस आरोप पर भाजपा ने पलटवार किया है. भाजपा नेता सुधांशु त्रिवेदी ने आज मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि कांग्रेस गीता प्रेस को गांधी शांति पुरस्कार दिए जाने का विरोध कर रही है, जिसकी हम निंदा करते हैं. यह विरोध गीता प्रेस के खिलाफ नहीं, बल्कि गीता के खिलाफ है.
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इसके अलावा उन्होंने कहा कि मुस्लिम लीग बिल्कुल धर्मनिरपेक्ष है और RSS सांप्रदायिक आज का एजेंडा नहीं है, यह एक एजेंडा है जो नेहरू जी के जमाने का है. ये विचार जो है वो खानदानी है, ये सोच उनकी रूहानी है. इसलिए मैं एक बार फिर कहना चाहता हूं कि गीता प्रेस, गोरखपुर के मुद्दे पर कांग्रेस ने जो चरित्र दिखाया है, वह उनकी भारत, भारतीय संस्कृति, हिंदुत्व और महात्मा गांधी के आदर्शों के प्रति अवमानना का स्पष्ट प्रमाण है.
क्या है पूरा मामला
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2021 का गांधी शांति पुरस्कार गीता प्रेस गोरखपुर को दिया जाएगा. पुरस्कार में एक करोड़ रुपये, एक प्रशस्ति पत्र, एक उत्कृष्ट पारंपरिक हस्तकला वस्तु शामिल है. प्रधानमंत्री ने शांति और सामाजिक सद्भावना के गांधीवादी आदर्शों को बढ़ावा देने में गीता प्रेस के योगदान को याद किया था. उन्होंने कहा कि गीता प्रेस के 100 वर्ष पूरे होने पर गांधी शांति पुरस्कार प्रदान करना मानवता के सामूहिक उत्थान के लिए गीता प्रेस के महत्वपूर्ण और अद्वितीय योगदान को मान्यता देता है, जो सही अर्थों में गांधीवादी जीवन का प्रतीक है.
गीता प्रेस दुनिया के सबसे बड़े प्रकाशकों में से एक
1923 में स्थापित गीता प्रेस दुनिया के सबसे बड़े प्रकाशन गृहों में से एक है. इस प्रेस में 14 भाषाओं में 41.7 करोड़ पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं. जिसमें 16.21 करोड़ भगवद गीता शामिल है. जयराम रमेश ने गीता प्रेस को गांधी शांति पुरस्कार देने का विरोध किया था. उन्होंने कहा था कि केंद्र का यह फैसला वास्तव में एक उपहास है और सावरकर और गोडसे को पुरस्कार देने जैसा है.
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